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Durg  कर्जमाफी और धान के बोनस के शोर में दूसरे किसानों के मुद्दे गौण

कठिया गांव में राहुल गांधी ने किसानों से बात की। वहीं, धान के खेत में राहुल गांधी ने हसिया लेकर मजदूरों के साथ कटाई भी की। राहुल गांधी को अपने पास पाकर मजदूर काफी खुश नजर आए।
 

छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, सत्ता की चाह में किसानों को रिझाने राजनीतिक दलों ने कर्ज माफी और धान के बोनस जैसी बड़ी घोषणाएं की है, लेकिन इसकी शोर में किसानों के दूसरे मुद्दे गौण हो गए हैं. जिले में खरीफ के धान के अलावा रबी और उद्यानिकी की फसले भी बड़े रकबे में होती है.
सिंचाई की सुविधा में विस्तार, दलहन तिलहन की खेती के साथ समर्थन मूल्य, टमाटर और अनाज को भंडारित करके रखने के लिए स्टोरेज और प्रोसेसिंग प्लांट जैसी आवश्यकताओं से राजनीतिक दलों ने किनारा कर लिया है. विधानसभा चुनाव के लिए दोनों की राजनीतिक दलों ने अपनी घोषणा पत्र जारी कर दिया है. दोनों ही राजनीतिक दलों ने घोषणा पत्र के माध्यम से किसानों को रिझाने का भी प्रयास किया है. इस उपक्रम में भाजपा ने खरीफ सीजन में 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़  क्विंटल धान खरीदी का ऐलान किया है.


कांग्रेस ने कर्जमाफी के साथ 3200 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान की खरीदी की घोषणा की है. इसके अलावा कांग्रेस ने तिवरा की फसल के लिए भी समर्थन मूल्य का ऐलान किया है, लेकिन कृषि और किसानों से जुड़े किसी और मुद्दे को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया गया है.
फल और सब्जियों के नहीं मिलते दाम: जिले में करीब 45 हजार हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की खेती होती है. इसमें सर्वाधिक 34 हजार हेक्टेयर रकबा सब्जियों की है. सब्जियों की खेती से ज्यादा लाभ के कारण बड़ी संख्या में छोटे किसान भी इस कार्य में लगे हैं. लोकल बाडिय़ों से सब्जियों की पैदावार के लिहाज से जनवरी-फरवरी पीक सीजन होता है. इस दौरान बंपर आवक से किसानों को सब्जियों के दाम नहीं मिलता. यही हाल केला-पपीता उत्पादक किसानों का होता है. रबी में भी करीब 9 हजार हेक्टेयर में फल और सब्जियों की खोती होती है, लेकिन इस ओर किसी भी पार्टी ने ध्यान नहीं दिया.
दलहन-तिलहन का तेजी से घट रहा रकबा: सरकारों द्वारा दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाता रहा है, लेकिन जिले में दलहन व तिलहन का रकबा तेजी से घटता जा रहा है. जिले में पूर्व में 26 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में दलहन और तिलहन की खेती हो रही थी. यह घटकर अब  हजार हेक्टेयर के करीब हो गया है. जिले में दलहन व तिलहन की पर्याप्त खेती नहीं होने के कारण बाजार को बाहरी आवक पर निर्भर रहना पड़ता है. दलहन तिलहन की खेती पर फोकस कर इससे निजात दिलाई जा सकती है, लेकिन कांग्रेस के तिवरा के समर्थन मूल्य पर खरीदी के अलावा कोई भी प्रस्ताव नहीं है. सोयाबीन से जिले के किसानों ने पहले ही किनारा कर लिया है.
रबी के धान और गेहूं की खरीदी की व्यवस्था नहीं: जिले में 58 हजार 788 हेक्टेयर में रबी की फसल होती है. इसमें 25 हजार 258 हेक्टेयर में धान और गेहूं की खेती होती है. इन दोनों की फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी अथवा बिक्री के लिए सुव्यस्थित बाजार नहीं है. ऐसे में किसानों को रबी का धान खरीफ के समर्थन मूल्य से करीब आधी कीमत पर बेचना पड़ता है. यही स्थिति गेहूं की भी है. ऐसे में रबी में धान और गेहूं की खेती किसानों के लिए घाटे का सौंदा साबित होता है. खरीफ के धान की तरह रबी में भी धान और गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग लगातार उठती रही है, लेकिन दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
डेयरी व फिशरीज पर अब तक कोई प्लान नहीं: डेयरी व फिशरीज भी कृषि का हिस्सा है, लेकिन इन्हें बढ़ावा देने के लिए अब तक कुछ भी नहीं किया जा सका है. मौजूदा घोषणा पत्र में भी दोनों ही राजनीतिक दलों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. जिले में फिलहाल 35 हजार लीटर दूध उत्पादन हो रहा है. जबकि खपत इससे तीन से चार गुना ज्यादा है. सरकार ने गौठान योजना के तहत इसे बढ़ावा देने का प्रयास किया है, लेकिन भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में इस दिशा में पहल का कोई भी उल्लेख नहीं किया है.
यही हाल मत्स्य पालन का है. मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है, लेकिन इसको बढ़ावा देने अब तक खास नहीं किया जा सका है.
सिंचाई का रकबा बढ़ाने कुछ नहीं
जिले की 80 फीसदी यानि करीब 97 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा है. सिंचित रकबे के करीब आधे यानि 42 हजार हेक्टेयर की सिंचाई 25 हजार नलकूपों के माध्यम से हो रही है. शेष 55 हजार हेक्टेयर की सिंचाई नहर, तालाब और कुओं के माध्यम से होती है. यह स्थिति राज्य निर्माण के पहले से है. राज्य निर्माण के बाद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा सका है. कांग्रेस ने पिछली बार घोषणा पत्र में नरवा प्रोजेक्ट को शामिल किया था. इसके माध्यम से छोटे-छोटे पैच में सिंचित एरिया बढ़ाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन इस बार दोनों ही राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र इसका जि₹ तक नहीं किया है.

दुर्ग न्यूज़ डेस्क !!!
 

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