
उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान हरिद्वार में देश के विभिन्न राज्यों से आए किसानों के साथ ऑनलाइन स्वैच्छिक ‘योगाहार’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कार्यक्रम की 928वीं कड़ी में देश के विभिन्न राज्यों से 60 से अधिक किसान प्रतिनिधियों ने भाग लिया. कार्यक्रम में ‘मृदा स्वास्थ्य’ विषय पर चर्चा की गई. चर्चा में यह बात सामने आई कि मृदा स्वास्थ्य के लिए समग्र दृष्टि से काम करने की आवश्यकता है. मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की प्रचुरता, पोषक तत्वों की प्रचुरता और जल धारण क्षमता की उपलब्धता मिलकर फसलों के लिए जीवन शक्ति की निरंतरता को निर्धारित करती है.
कार्यक्रम में पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के पवन कुमार ने योगाहार कार्यक्रम और प्रस्तुतियों के विषय में विस्तार से जानकारी दी. साथ ही ‘मृदा स्वास्थ्य’ पर अपनी प्रस्तुति के माध्यम से उपस्थित सदस्यों का ध्यान मिट्टी की नमी मापने के लिए अपनाई गई पद्धति, पहचाने गए उपकरणों, केंचुआ गिनती, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, धरती का डॉक्टर के विषय में अपने अनुभव साझा किए. बताया कि मृदा स्वास्थ्य सीढ़ी चार्ट, मृदा स्वास्थ्य सीढ़ी और धरती का डॉक्टर का परीक्षण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों के बीच किया जा रहा है. किसान रुचि के साथ इनका उपयोग कर रहे हैं और इससे किसानों को आगे बढ़ने में मदद मिली है. साथ ही मिट्टी में जैव विविधता, पोषक तत्वों और पानी की उपस्थिति और गुणवत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ी है. पहचाने गए उपकरण और तरीके उपयोग में आसान हैं. किसान खुद उनका उपयोग कर रहे हैं. जिससे किसान आत्मनिर्भर बने हैं. इस दौरान डॉ. मनोहारी राठी, तरुण शर्मा, डॉ. सुरेश कुमार, डॉ. विनय स्वरूप मेहरोत्रा, संजय नैथानी, हरिराज सिंह आदि ने विचार साझा किए. कार्यक्रम में रमेश चंद्र मेहरा, शरद वर्मा, नरेंद्र वर्मा, डॉ. किशोर दुबे, डॉ. विनोद भट्ट, मुन्नीलाल यादव आदि ऑनलाइन शामिल हुए.
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