
उत्तराखंड न्यूज़ डेस्क, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों को साइबर क्राइम और नशा मुक्ति के प्रति जागरूक करने के लिए राज्यभर में बाल चेतना की शृंखला-वर्कशॉप कराएगा. अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि आयोग जल्द ही सरकार को श्वेतपत्र के जरिए उन कार्ययोजनाओं की सूची सौंपेगा, जिनकी अपेक्षा वह सरकार से करता है. बच्चों को गुमराह करने वाले ऑनलाइन गेम्स-विज्ञापनों से सावधान करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा.
सचिवालय स्थित मीडिया सदन में खन्ना ने अपने दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि बाल दिवस का कार्यक्रम बीस को नई टिहरी में होगा. हर जिले में बाल चेतना के अलग-अलग आयोजन होंगे. पिछले साल यह आयोजन रुद्रपुर में हुआ था. बच्चों की सुरक्षा आयोग का मकसद है. जिला बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड एवं बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले एनजीओ, पुलिस व रेखीय विभागों से इसके लिए चर्चा की जा रही है. विशेषकर साइबर क्राइम और नशा मुक्ति के प्रति बच्चों में चेतना लाने के लिए राज्यस्तरीय वर्कशॉप आयोजित की जाएंगी. खन्ना ने बताया कि आयोग ने कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाई है, हालांकि कोचिंग संस्थानों पर नियंत्रण के लिए प्रदेश में नियमावली अपेक्षित है. प्रबंध समिति वाले स्कूलों में समिति के सदस्यों की विजिलेंस जांच स्कूल को मान्यता देने से पहले करने का सुझाव भी सरकार को दिया गया है.
मदरसे मामले में शिक्षा विभाग से मांगी रिपोर्ट
बाल आयोग अध्यक्ष डॉ.गीता खन्ना ने बताया कि विभिन्न माध्यमों से हुई मदरसों की गोपनीय जांच में 749 हिन्दू बच्चों के मदरसों में अध्ययनरत् होने के मामले को गंभीरता से लिया गया है. अभी यह तीन जिलों की ही रिपोर्ट है. शेष जिलों की रिपोर्ट आनी बाकी है. बाल आयोग यह जानना चाहता है कि इसके पीछे अभिभावकों की कथित सहमति, प्रलोभन, डर जैसे हालात तो जिम्मेदार नहीं?
देहरादून न्यूज़ डेस्क !!!