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बात नहीं मानने पर धरना स्थल छोड़कर भागे विधायक, वीडिेयो में जानें एक्सप्रेसवे पर इंटरकट की कर रहे मांग 

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दिल्ली-मुंबई लिंक एक्सप्रेसवे पर इंटरकट (कट पॉइंट) की मांग को लेकर बांदीकुई के द्वारापुरा और श्यामपुरा गांवों के ग्रामीणों द्वारा किया गया धरना सोमवार दोपहर को समाप्त हो गया। यह धरना रविवार सुबह से शुरू हुआ था, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों ने भाग लिया। ग्रामीणों की मांग थी कि एक्सप्रेसवे पर उनके गांवों के बीच एक इंटरकट बनाया जाए ताकि उन्हें आवागमन में सुविधा मिल सके।

दो दिन चला धरना, ग्रामीणों का उग्र रुख

धरने के दौरान ग्रामीणों ने न केवल एक्सप्रेसवे पर ट्रैफिक रोकने की चेतावनी दी, बल्कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के प्रति आक्रोश भी खुलकर जाहिर किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने जबरन जमीन लेकर एक्सप्रेसवे तो बना दिया, लेकिन गांवों के लोगों की यात्रा सुविधा और संपर्क साधनों की पूरी तरह अनदेखी की गई है।

प्रशासन को झेलना पड़ा तीखा विरोध

सोमवार को जब प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को मनाने के लिए पहुंचे, तो उन्हें तीखे विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों ने सवाल उठाए कि जब एक्सप्रेसवे पर हजारों करोड़ खर्च किए जा सकते हैं, तो एक इंटरकट बनाने में क्या दिक्कत है? ग्रामीणों ने अधिकारियों को घेरते हुए कहा कि यदि उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे फिर से बड़ा आंदोलन करेंगे।

आखिरकार बनी सहमति

लगभग दो घंटे की बातचीत के बाद ग्रामीणों और प्रशासन के बीच सहमति बनी कि इंटरकट की मांग को उच्च स्तर तक पहुंचाया जाएगा और संबंधित विभागों से इसकी स्वीकृति के प्रयास किए जाएंगे। इस आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त कर दिया, लेकिन यह भी साफ कर दिया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे दोबारा आंदोलन करेंगे।

क्या है इंटरकट की मांग?

द्वारापुरा और श्यामपुरा गांव दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित हैं। एक्सप्रेसवे बनने से पहले इन गांवों के लोग आपस में आसानी से आवाजाही कर सकते थे, लेकिन अब हाईवे के कारण उनकी सीधी पहुंच बाधित हो गई है। ग्रामीणों की मांग है कि एक अंडरपास या इंटरकट बनाया जाए जिससे वाहन और पैदल यात्री दोनों आसानी से रास्ता पार कर सकें।

जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी

ग्रामीणों ने स्थानीय विधायकों और जनप्रतिनिधियों पर निर्माण कार्य के समय चुप्पी साधने और अब नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि विकास कार्य जनता की सहूलियत को ध्यान में रखकर होने चाहिए, न कि सिर्फ दिखावे के लिए।

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