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Darjeeling विधानसभा में चर्चा का विषय चप-पकौड़ा बना
 

Darjeeling विधानसभा में चर्चा का विषय चप-पकौड़ा बना

पश्चिमी बंगाल न्यूज़ डेस्क, पश्चिम बंगाल का सर्वव्यापी स्ट्रीट फूड चोप (पकौड़े)  विधानसभा में चर्चा का विषय रहा. इसको लेकर देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और भाजपा विधायक अशोक लाहिड़ी और राज्य की वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य के बीच तलवारें खींच गईं. इसकी शुरुआत सदन में पश्चिम बंगाल राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा के दौरान लाहिड़ी के बयान से हुई. लाहिड़ी ने चप-पकौड़े के कारोबार को उद्योग के रूप में स्वीकार करने से इनकार किया. जवाब में चंद्रिमा ने इसे जीवन यापन के लिए चप बेचने वाली महिलाओं का अपमान करार दिया. उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चप-पकौड़ा बनाने व बेचने को उद्योग करार दिया और इससे राज्य में बेरोजगारी कम होने का दावा किया था.
उदाहरण नहीं हो सकता: लाहिड़ी: उक्त संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान लाहिड़ी ने कहा कि 'चप उद्योग' बंगाल में औद्योगीकरण का संकेतक नहीं हो सकता है. यह राज्य में औद्योगीकरण का उदाहरण नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य के प्रति व्यक्ति आय और जीडीपी और एसजीडीपी में तुलना नहीं की जा सकती.

यह है विकास का सूचक: लाहिड़ी ने कहा कि आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे कई राज्यों में प्रति व्यक्ति आय पश्चिम बंगाल की तुलना में अधिक है. अगर विकास हुआ है, तो यह प्रतिबिंबित होना चाहिए. दिल्ली में सैकड़ों प्रवासी मजदूर हैं, जो बंगाल से हैं. वे निर्माण क्षेत्र में हैं, अन्य मैनुअल नौकरियों में हैं. क्या यह विकास को दर्शाता है? लाहिड़ी ने दावा किया कि राज्य पर जो बढ़ता कर्ज है वह अर्जित राजस्व से कम है. कुछ समय बाद, सरकार को अपने कर्मचारियों को पीएफ और ग्रेच्युटी का भुगतान करने में मुश्किल होगी. यहां तक कि अगर सुधार नहीं किया गया तो कर्मचारियों का वेतन भी देना भी मुश्किल हो जाएगा.
कोलकाता. राज्य को कर्ज लेने की सीमा बढ़ गई है. विधानसभा में पश्चिम बंगाल राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2022  ध्वनिमत से पारित हो गया. राज्य की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सदन में उक्त विधेयक पेश किया. इसके बाद इस पर लगभग ढाई घंटे चर्चा हुई. अंत में ध्वनिमत से उक्त बिल पारित हो गया. इसके साथ ही राज्य को कर्ज लेने की सीमा बढ़ कर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का चार प्रतिशत हो गया. अब तक यह सीमा जीएसडीपी का तीन प्रतिशत था. इस दौरान विपक्ष के अन्य विधायकों के अलावा भाजपा विधायक और देश के प्रमुख अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी ने तथ्यों और आंकड़ों के जरिए बंगाल में थमी विकास की गति का चित्र प्रस्तुत किया, जिसे वित्त राज्यमंत्री ने खंडन किया.

दार्जीलिंग न्यूज़ डेस्क !!!
 

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