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Darbhanga सियासी समर में जातीय समीकरण साधने की है हर संभव कोशिशें, राजनीतिक दलों ने आबादी की बहुलता, सामाजिक प्रभाव व तीसरे कोण का रखा ख्याल

नरेंद्र जी, सदन में पेश की गई रिपोर्ट में क्या डिटेल्स सामने आई हैं?  देखिये ये अपेक्षित था। बिहार में जातीय जनगणना की जो रिपोर्ट पेश हुई थी, उसमें शिक्षा और आर्थिक सर्वेक्षण भी एक पार्ट था। उस वक्त सरकार ने इसे रिलीज नहीं किया था। तभी से विपक्ष की खासकर बीजेपी की मांग थी कि आप क्यों बाकी की रिपोर्ट छिपा रहे हैं? आप पूरी रिपोर्ट पेश कीजिए।

बिहार न्यूज़ डेस्क कहते हैं नाम बड़े और दर्शन छोटे. सियासी समर में यह मुहावरा सटीक बैठता है. दावे भले बड़े-बड़े हों, पर जातीय समीकरण साधने में सब आगे हैं. बिना इसके जीत का आत्मविश्वास राजनीतिक दलों में अब भी नहीं है. जातीय समीकरण में तीन बातों का ख्याल रखा गया है-आबादी की बहुलता, सामाजिक प्रभाव और तीसरा कोण. इन्हीं तीन के ईद-गिर्द सियासी व्यूह रचना है. जहां जो जाति निर्णायक है, सबके एजेंडे के ऊपर. सामाजिक प्रभाव रखने वाली जातियों और मजबूत आधार वोट वाले इलाकों में तीसरा कोण यानी अतिरिक्त वोट जुगाड़ने की रणनीति.

जिताऊ उम्मीदवार उतारने को लेकर दलों ने तीन सूत्री फार्मूले, ‘आबादी की बहुलता, सामाजिक प्रभाव और तीसरा कोण’ पर मंथन करके निर्णय लिया है. राज्य की कई सीटों पर ऐसी स्थिति आ गई है कि दोनों ही प्रमुख गठबंधन एनडीए और इंडिया से एक ही जाति के उम्मीदवार आमने-सामने हैं. गठबंधनों ने आबादी की बहुलता का पूरा ख्याल रखा है. मसलन, पाटलिपुत्र, बांका व मधेपुरा में यादवों की बहुलता है. पाटलिपुत्र से भाजपा के रामकृपाल यादव तो राजद से लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती चुनावी मैदान में हैं. बांका में जदयू के गिरिधारी यादव तो राजद से जयप्रकाश नारायण यादव मैदान में हैं. मधेपुरा से जदयू सांसद दिनेश चंद्र यादव उम्मीदवार हैं. राजद खेमे से पूर्व मंत्री प्रो चंद्रशेखर का नाम आगे चल रहा है. मुजफ्फरपुर निषाद बहुल है. यहां भाजपा ने राजभूषण निषाद को उम्मीदवार बनाया गया है. कांग्रेस से अजय निषाद के उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है.

तीसरा कोण बनाने की कोशिश दोनों गठबंधन ने कई सीटों पर ऐसे भी उम्मीदवार दिए हैं जहां अगड़ा-पिछड़ा होने की संभावना है. या फिर एक गठबंधन ने अगड़े तो दूसरे ने पिछड़े पर भरोसा जताया है. कोशिश है कि कोर वोटर के अलावा उन्हें उस जाति का भी वोट मिल जाए जिस समुदाय से उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. मसलन, पटना साहिब से भाजपा से रविशंकर प्रसाद कायस्थ हैं तो कांग्रेस कुशवाहा को उतारने की तैयारी कर रही है. मुंगेर में जदयू से ललन सिंह मैदान में हैं तो राजद ने धानुक उम्मीदवार अनिता कुमारी को मैदान में उतार दिया है.

सामाजिक प्रभाव का भी ख्याल रखा गया

कुछ सीटों पर दोनों गठबंधन से सवर्ण उम्मीदवार उतारे हैं. सामाजिक प्रभाव को देखते हुए ऐसा किया है. बक्सर में राजद ने सुधाकर सिंह तो भाजपा खेमे से मिथिलेश तिवारी हैं. महाराजगंज में भाजपा से जनार्दन सिंह सिग्रिवाल तो कांग्रेस से भी किसी सवर्ण को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी है. मोतिहारी में भाजपा खेमे से राधामोहन सिंह हैं. वीआईपी के टिकट पर यहां अगर किसी सवर्ण को टिकट मिला तो यहां भी ऐसी ही स्थिति होगी.

 

दरभंगा न्यूज़ डेस्क

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