
बिहार न्यूज़ डेस्क इंडियन अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के ईस्ट जोन मिड टर्म सीएमई के दूसरे दिन शिशु रोग विशेषज्ञों ने स्कूली बच्चों को स्वस्थ जीवन जीने की कला के गुर सिखाए.
चिकित्सकों ने कहा कि देश का भविष्य बच्चों के कंधों पर टिका है. छात्र-छात्राएं स्वस्थ रहकर ही देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियां बखूबी निभा सकेंगे. स्वास्थ्य के प्रति स्कूली छात्रों को जागरूक करने के लिए ‘संकल्प संपूर्ण स्वास्थ्य’ कार्यक्रम के तहत लहेरियासराय स्थित एक निजी स्कूल में सैकड़ों बच्चों को स्वस्थ जीवन की कला सिखाई गई. यह कार्यक्रम तीन सत्रों में आयोजित किया गया. प्रथम सत्र में बच्चों से रू-ब-रू आईएपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उपेंद्र किंजवाडेकर ने खाने की थाली में सब्जियों और फलों को प्रमुख रूप से शामिल करने को कहा.
उन्होंने कहा कि जो भी पैकेटबंद खाद्य पदार्थ खोलें उसके ऊपर लिखी कैलोरी कार्बोहाइड्रेट और नमक की मात्रा को जरूर पढ़ें. पैकेटबंद पदार्थों के ऊपर लिखे अवयवो को पढ़कर बच्चों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि इसमें इतना ज्यादा चीनी और नमक है.
डॉ. किंजवाडेकर ने छोटे बच्चों को रात में 10 घंटे की नींद और दिन में आधे घंटे से एक घंटे की झपकी लेने की सलाह दी. रात में सोने के पहले दादी-दादी, नाना-नानी से कहानियां सुनने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कहानियां सुनने से बच्चों को मीठी नींद आ सकेगी.
वहीं दूसरी ओर डॉ. देवाशीष शर्मा ने अपने मोहक अंदाज में कहा कि बच्चों को हर एक घंटे के बाद शारीरिक गतिविधियों को करना आवश्यक है. मोबाइल या टेलीविजन का किसी रूप में स्क्रीन टाइम दो घंटे से ज्यादा का नहीं होना चाहिए. वे जो मोबाइल और टीवी पर देखते हैं उन्हें अपने माता-पिता से उस संबंध में बात करनी चाहिए और उन्हें कभी भी ऐसे एपिसोड नहीं देखना चाहिए जो हिंसक हों. उन्हें सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन से छुट्टी ले लेनी चाहिए. उन्होंने परिजनों से खाने के समय मोबाइल और टीवी से बच्चों को दूर रखने का आह्वान किया. प्रशिक्षण में डॉक्टर दीपक पांडे ने भी योगदान दिया.
दूसरे और तीसरे सत्र में आठवें वर्ग के बच्चों को नशे से दूर रहने के गुर सिखाए गए. छात्र-छात्राओं ने लाल और हरी पट्टियों पर निर्देशित संकेतों के आधार पर नाट्य रूप में सात तरीकों से नशे को नकारने के गुर सीखे. छोटे बच्चों की तुलना में बड़े बच्चों को कम से कम आठ घंटा नींद लेने की सलाह दी गई. उन्होंने प्यार भरे मनोहर अंदाज में इसे दुबारा और अन्य स्कूलों में भी करने का आग्रह किया. कार्यक्रम के अंत में स्कूल प्रशासन की ओर से डॉ. किंजवाडेकर, डॉ. दीपक पांडे, डॉ. देवाशीष शर्मा, कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. रवि कुमार और कार्यक्रम के दरभंगा कोऑर्डिनेटर डॉ. ओम प्रकाश को मधुबनी पेंटिंग देकर सम्मानित किया. स्कूल के निदेशक राघवेंद्र कुमार ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए डॉ. अमृता मिश्रा, डॉ. अहमद, डॉ. अरविंद कुमार सुमन, डॉ. मिथिलेश कुमार सिंह और विशेषकर दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केएन मिश्रा और शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया.
दरभंगा न्यूज़ डेस्क