बिहार न्यूज़ डेस्क फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटीज टीचर्स एसोसिएशन ऑफ बिहार (फुटाब) ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाया है. कहा है कि नये एसीएस सकारात्मक रूप से काम कर रहे हैं, लेकिन अधीनस्थ अब भी पुरानी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे कार्यरत और सेवानिवृत्त शिक्षक और कर्मचारी दोनों प्रताड़ित हो रहे हैं.
फुटाब के कार्यकारी अध्यक्ष कन्हैया बहादुर सिन्हा और महासचिव एमएलसी संजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि वेतन भुगतान करने में सरकार की अनिच्छा इस बात से पता चलती है कि विभाग ने पहले यह शर्त रखी कि जब तक वीसी शिक्षा विभाग में नहीं आएंगे, जब भी उन्हें बुलाया जाएगा, तब तक चालू बजट की समीक्षा नहीं की जाएगी. जब अदालत के आदेश से सभी कुलपति बैठक में शामिल हुए, तो इस कारण देरी करने की दलील तो समाप्त हो गई, फिर यह दलील दी गई कि जब तक विश्वविद्यालय पीएल खाते में पड़ी राशि वापस नहीं करेंगे, तब तक अनुदान जारी नहीं किया जाएगा. अब एक नया निर्णय लिया गया है कि जब तक विश्वविद्यालय शिक्षकों और कर्मचारियों के सेवा डेटा की जानकारी से विधिवत भरा हुआ 32 से 40 कॉलम का प्रोफार्मा नहीं भेजेंगे, तब तक अनुदान जारी नहीं किया जाएगा. इस शर्त को पूरा होने में कम से कम तीन महीने लगेंगे. आरोप लगाया कि भुगतान के मुद्दे पर शिक्षा मंत्री को भी गुमराह किया गया है.
बीतें पांच को उच्च शिक्षा निदेशक ने जानकारी दी थी कि बजट की समीक्षा पुरी हो चुकी है और संचिका उच्च अधिकारियों को भेजी जा रही है. आगे कहा कि जब तक 2024-25 के बजट पर गोल पोस्ट का यह बार-बार बदलाव अंतिम स्कोर तक पहुंचेगा तब तक 2025-26 के बजट की तैयारी की कवायद इस साल नवंबर से शुरू हो जाएगी, जबकि के महीने के अंत नजदीक है. अगर यही स्थिति जारी रही, तो राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन किया जायेगा.
दरभंगा न्यूज़ डेस्क