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चित्तौड़गढ़ में अफीम किसानों का नारकोटिक्स विभाग के खिलाफ प्रदर्शन, वीडियो में जानें निर्दोष किसान पर झूठे केस का आरोप

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जिले के कई गांवों के अफीम किसानों ने नारकोटिक्स विभाग, नीमच के खिलाफ बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। गांव रूद, नारायणपुरा, खारखंदा, पावली, बारू और भीमगढ़ से सैकड़ों की संख्या में किसान एकजुट होकर पहुंचे और नारकोटिक्स विभाग की कार्रवाई पर नाराजगी जताई।

निर्दोष किसान को झूठे केस में फंसाने का आरोप

किसानों ने आरोप लगाया कि नारकोटिक्स विभाग की टीम ने रूद गांव के एक निर्दोष किसान को एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत झूठे केस में फंसाया है। उनका कहना है कि संबंधित किसान का अफीम उत्पादन का लाइसेंस वैध है और उसने तय सीमा के भीतर ही अफीम की खेती की थी, फिर भी उसे अवैध भंडारण और तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

प्रदर्शनकारियों की मांग

प्रदर्शन कर रहे किसानों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए और कहा कि ग्रामीणों को बिना पुख्ता सबूतों के अपराधी बना दिया जाता है। किसानों ने निम्न मांगें रखीं:

  • निर्दोष किसान पर से केस वापस लिया जाए

  • नारकोटिक्स विभाग की जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता हो

  • किसानों की गिरफ़्तारी से पहले ग्राम पंचायत स्तर पर पुष्टि हो

  • विभाग की छापेमारी कार्रवाई में वीडियोग्राफी अनिवार्य की जाए

नाराजगी और डर का माहौल

प्रदर्शन में शामिल किसानों का कहना था कि इस तरह की एकतरफा और कठोर कार्रवाई से अफीम उत्पादक किसानों में भय का माहौल बन गया है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि विभागीय कार्रवाई के दौरान अभद्र व्यवहार किया गया और परिवार के अन्य सदस्यों को भी धमकाया गया

प्रशासन ने दिया जांच का आश्वासन

कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर ने किसानों से मुलाकात कर ज्ञापन प्राप्त किया और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की शिकायतों को राज्य और केंद्र स्तर पर संबंधित विभागों तक पहुंचाया जाएगा।

राजनीतिक दलों की नजर

इस मामले ने अब राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है। कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधियों और किसान संगठनों ने किसानों के समर्थन में बयान जारी करते हुए कहा कि अफीम उत्पादन करने वाले किसान तस्कर नहीं, बल्कि खेती से जुड़े लोग हैं, जिन्हें अपराधी की तरह ट्रीट किया जाना पूरी तरह गलत है।

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