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मेवाड़ के कृष्णधाम श्री सांवलिया सेठ मंदिर में विवाद, वीडियो में जानें अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं पर लाठियां चलाने के दो वीडियो वायरल

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मेवाड़ के प्रसिद्ध कृष्णधाम श्री सांवलिया सेठ मंदिर, मंडफिया से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें अमावस्या के दिन श्रद्धालुओं पर लाठियां चलाने के दो वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गए हैं। इन वीडियोज़ में एक ओर जहां निजी सुरक्षा गार्ड श्रद्धालुओं पर लाठियां चलाते दिख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मी द्वारा भी एक श्रद्धालु पर लाठी चार्ज करने की घटना सामने आई है, जिसमें एक बुजुर्ग श्रद्धालु घायल अवस्था में सड़क पर लेटे नजर आ रहे हैं।

पहला वीडियो: निजी सुरक्षा गार्ड की कार्रवाई
पहले वीडियो में मंदिर परिसर में तैनात निजी सुरक्षा गार्ड को देखा जा सकता है, जो श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर प्रवेश करने से रोकने के लिए लाठियां चला रहे हैं। वीडियो में यह साफ दिखाई दे रहा है कि श्रद्धालु शांतिपूर्वक मंदिर दर्शन करने के लिए कतार में खड़े हैं, लेकिन सुरक्षा गार्डों की ओर से हिंसक व्यवहार अपनाया जा रहा है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मंदिर प्रशासन और सुरक्षा कर्मियों की कड़ी आलोचना हो रही है।

दूसरा वीडियो: पुलिसकर्मी की लाठीचार्ज और घायल श्रद्धालु
दूसरे वीडियो में एक पुलिसकर्मी श्रद्धालुओं पर लाठी चार्ज करते दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो मंदिर के बाहर का है, जहां भारी संख्या में श्रद्धालु अमावस्या के दिन मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। वीडियो में एक बुजुर्ग श्रद्धालु घायल अवस्था में सड़क पर पड़े हुए हैं, जबकि पुलिसकर्मी वहां मौजूद हैं। यह घटना खासतौर पर उस समय घटी जब श्रद्धालुओं की संख्या अधिक थी और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा था।

वायरल वीडियोज़ के बाद प्रशासन की प्रतिक्रिया:
दोनों वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। मंदिर प्रशासन और पुलिस विभाग ने स्थिति का जायजा लिया और घटना की जांच करने का आश्वासन दिया। प्रशासन ने कहा कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सम्मानजनक तरीके से दर्शन करने का अवसर मिले।

समाज में गुस्सा और सवाल उठते हैं:
इन घटनाओं के बाद से सोशल मीडिया पर भारी गुस्सा दिखाई दे रहा है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि श्रद्धालुओं के साथ इस तरह की दुर्व्यवहार की क्या आवश्यकता थी, जबकि उन्हें शांति से दर्शन करने का अधिकार है। कई लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर श्रद्धालुओं की संख्या अधिक थी, तो मंदिर प्रशासन को पहले से उचित प्रबंधन करना चाहिए था, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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