
बिहार न्यूज़ डेस्क, छठ पर्व में खरना का विशेष महत्व है। छठ व्रती निर्जला व्रत रहकर खरना करती हैं। सूर्य देवता और छठी मैया का ध्यान करते हुए गुड़ और चावल की खीर मिट्टी के चूल्हा पर बनाई। इसके साथ ही गेंहू के आटे की रोटी भी बनाई। प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है।
खरना के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है।शनिवार को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे। खरना का समय शाम से शुरू होता है। पहला अर्घ्य शनिवार को शाम 05.01 बजे दिया जाएगा। वहीं प्रात:कालीन अर्घ्य सुबह 06.06 बजे दिया जाएगा। अर्घ्य का यह समय ऋषिकेश पंचांग के अनुसार है। प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ ही छठ का व्रत समाप्त हो जाएगा। आज डूबते भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे व्रती, उगते हुए को कल
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