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Chandigarh शहर के घायल खिलाड़ियों को निशुल्क परामर्श दे रहीं
 

Chandigarh शहर के घायल खिलाड़ियों को निशुल्क परामर्श दे रहीं


हरियाणा न्यूज़ डेस्क, श्किलों की जंजीरें जितनी मजबूत होगी पैरों में, उनसे खुलने की उड़ान उतनी ही ऊंची होगी. विकट परिस्थितियों से निकलीं शहर की शिखा सिंह ऐसे लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं जो परेशानियों के आगे घुटने टेक देते हैं. वह खेल के दौरान घायल हुए खिलाड़ियों को नि शुल्क परामर्श देकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने में जुटी है.

करीब सात साल पहले अभ्यास के दौरान हुई इंजरी के बाद हुई सर्जरी और घुटने में स्क्रू डाले गए तो डॉक्टरों ने उन्हें खेलकूद से दूरी बनाने की नसीहत दे डाली. बावजूद मेहनत के बूते शिखा न सिर्फ दोबारा उठ खड़ी हुई बल्कि बतौर फिटनेस ट्रेनर दूसरों को भी फिट बनाने में जुटी हैं. सेक्टर-18 निवासी शिखा बताती हैं कि घुटने के ऑपरेशन के बाद संभलने में पूरा एक साल लग गया. एक महीने बिस्तर पर रहने के दौरान निराश हुई लेकिन हार नहीं मानी. इसके बाद वॉकर से चलना शुरू हुआ.
फिजियोथेरेपी और एक्वा थेरेपी के साथ सेहत सुधारी और दोबारा से मैदान में उतर आई. वह सफलता का पूरा श्रेय अपने चाचा अनिल सिंह और दीदी सोनिया सिंह को देती हैं. उनकी मां बाला सिंह और पिताजी आरएस सिंह ने उनका हौंसला बढ़ाया है.
शिखा बताती हैं कि इंजरी से रिकवरी के दौरान योग और फिजियोथेरेपी से काफी मदद मिली. वह बतौर फिटनेस ट्रेनर पर्सनल सेशन लेने के साथ ही बॉडी बिल्डिंग की तैयारी कर रही हैं. शिखा क्लाइंट्स को जुंबा क्रॉस फिट, वेट लॉस, कार्डियो ट्रेनिंग, स्ट्रेचिंग, फ्लेक्सीबिलिटी ट्रेनिंग देती हैं. फिटनेस स्टूडियो में वह हर रोज 50 लोगों को ट्रेनिंग दे रही हैं.
आर्चरी में चमका चुकीं नाम
शिखा आर्चरी में ऑल इंडिया सीनियर नेशनल और मैराथन में 21 किलोमीटर दौड़ के साथ खो-खो में भी राज्य स्तर तक प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. बॉडी बिल्डिंग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में करीब नौ महीने पहले दिल्ली में विजेता रही हैं. स्कूल के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्रत्त् ऑनर्स में दाखिला लिया था लेकिन छह महीने में कोर्स छोड़ दिया. इसके बाद फिजिकल एजुकेशन में बैचलर्स और मास्टर्स के साथ बॉडी बिल्डिंग में ध्यान दिया.

चंडीगढ़ न्यूज़ डेस्क !!!

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