
हरियाणा न्यूज़ डेस्क, सगा के नाम से यहां मेहमान को संबोधित किया जाता है. यह एक औपचारिक रिवाज है. इसमें लड़की या लड़के को देखने के लिए एक परिवार के सदस्य, दूसरे के यहां आते हैं. यह रोका या सगाई नहीं केवल शुरुआती रस्म है. सहमति बनने के बाद वर पक्ष के बुजुर्ग पान-सुपारी व गिफ्ट्स के साथ वधू के घर जाते हैं और रिश्ता पक्का होता है.
देवतेला
इसमें महिलाएं पांच मंदिरों में जाकर तेल व हल्दी चढ़ाती हैं और आशीर्वाद लिया जाता है. शेष तेल व हल्दी को वर व वधू के लगाया जाता है. यहां चिकट हरदियाही की रस्म भी होती है जिसमें मंडप के नीचे सभी व्यक्ति हल्दी में रंगे जाते हैं.
तेलमाटी
इस रस्म में भी चुलमाटी की तरह देवस्थल या जलाशय से मिट्टी लाया जाता है. इस मिट्टी को मंडप के नीचे रखा जाता है. जिसके ऊपर मड़वा बांस व मंगरोहन स्थापित किया जाता है. मंगरोहन, गूलर का एक पौधा है. इस दौरान मंडप के लिए बांस व मंगरोहन लाने की रस्म भी है. गाजे-बाजे के साथ परिवार की महिलाएं इसे बढ़ई से लेकर आती हैं.
तिलक व फलदान
इसमें लड़के को तिलक लगाया जाता है व वर पक्ष के लोग वधू को फलदान करते हैं.
लग्न पूजा
इसमें वर व वधू पक्ष के बुजुर्ग पूजा करते हैं. विवाह से 15 दिन पूर्व कुलदेवता या इष्टदेव को पहला कार्ड चढ़ाकर निमंत्रित किया जाता है.
छत्तीसगढ़ अपनी लोक संस्कृति और रीति रिवाजों के लिए विख्यात है. यहां विवाह के दौरान भी कई तरह की रस्में निभाई जाती हैं, जो कि अन्य जगहों से भिन्न हैं. यहां मुख्यत: विवाह समारोह आठ दिन तक हुआ करते हैं, लेकिन अब लोगों की व्यस्तताएं बढ़ने से यह तीन से पांच दिन में सम्पन्न होने लगे हैं. जानते हैं यहां विवाह के दौरान निभाई जाने वाली रस्मों के बारे में -
परिवार की महिलाएं गांव के बाहर नदी या मंदिर से मिट्टी लेकर आती हैं. उससे चूल्हा बनता है. चुलमाटी के साथ ही तेल-हल्दी का कार्यक्रम शुरू होता है.
चुलमाटी
पं. मनोज शुक्ल, सहायक पुजारी, महामाया मंदिर, रायपुर
चंडीगढ़ न्यूज़ डेस्क !!!