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Buxar मिलीभगत पूरे जिले में चल रहा अवैध अल्ट्रासाउंड केन्द्र, सदर अस्पताल और अनुमंडल अस्पताल में शुरू नहीं हुई है अल्ट्रासाउंड जांच
 

Buxar मिलीभगत पूरे जिले में चल रहा अवैध अल्ट्रासाउंड केन्द्र, सदर अस्पताल और अनुमंडल अस्पताल में शुरू नहीं हुई है अल्ट्रासाउंड जांच


बिहार न्यूज़ डेस्क स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद जब छापेमारी शुरु हुई तो अवैध रुप से चल रहे अल्ट्रासाउंड का खेल खुलकर सामने आने लगा है. अबतक पूरे जिले में कुल 18 अवैध रुप से चल रहे केंद्रों को सील किया गया है. जिसमें 9 केंद्र डुमरांव प्रखंड के है. इधर डीएम के आदेश के बाद भी सदर अस्पताल और डुमरांव अनुमंडल अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की सुविधा बहाल नहीं हो पायी है. मजबूरी में मरीजों को प्राइवेट केन्द्र की शरण में जाना पड़ रहा है. अब सवाल उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर जिले में अवैध रूप से ल्ट्रासाउंड का संचालन हो रहा था. यह किसकी मिलीभगत से किया जा रहा था. सूत्रों की मानें तो इसके पीछे जिले के स्वास्थ्य विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के अफसरों की मिलीभगत थी. अगर सही से जांच हो जाए तो कई अफसर फंस सकते हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में निबंधित अल्ट्रासाउंड की संख्या 40 है. एक आकलन के अनुसार शहर से लेकर ग्रामीण इलाके में अवैध रुप से पांच गुणा केंद्र चल रहे है. डीएम के निर्देश पर जब छापेमारी शुरु हुई, तो कई अपना बोर्ड उतार कर गायब हो गये. अभी भी डुमरांव अनुमंडल के इलाके में अवैध केंद्र संचालित हो रहे है. अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के निबंधन के लिए सीएस कार्यालय में आवेदन देना होता है. उसके बाद जांच के उपरांत संचालन की अनुमति मिलती है. आश्चर्य इस बात का है कि बगैर निबंधन के केंद्र कई साल से चल रहे थे. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नजर आखिर उस ओर क्यों नहीं जा रही थी. जानकार सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य महकमे से जुड़े लोग ऐसे अवैध संस्थानों का संचालन करा रहे थे. इसके एवज में मोटी रकम की वसूली भी हो रही थी.
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक के अभाव में बंद सदर अस्पताल और डुमरांव अनुमंडल अस्पताल में पिछले चार माह से अल्ट्रासाउंड की मशीन धूल फांक रही है. बताया गया कि चिकित्सक के अभाव में अल्ट्रासाउंड का संचालन नहीं हो रहा है. जबकि सरकारी चिकित्सकों के नाम पर प्राइवेट में दो-दो अल्ट्रासाउंड केंद्र का संचालन हो रहा है. छापेमारी के दौरान यह हकीकत खुलकर सामने आयी है. इससे यह प्रमाणित होता है कि सरकारी चिकित्सक भी निजी केंद्रों को लाभ पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है. ऐसे में मरीजों को निजी केंद्रों में जाना पड़ रहा है. इधर सीएस सुरेशचंद्र सिंहा का कहना है कि चिकित्सक की पदस्थापना के लिए विभाग को लिखा गया है. डीएम अंशुल अग्रवाल ने अवैध अल्ट्रासाउंड केंद्रों की मॉनिटरिंग का निर्देश दिया है.


बक्सर न्यूज़ डेस्क 
 

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