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Buxar पिता के बाद बेटे को मिला बक्सर का साथ, कांटे की टक्कर के बीच सुधाकर ने मिथिलेश से रहे आगे

Gurugram विधानसभा का रिपोर्ट कार्ड तय कर गये लोकसभा चुनाव के रिजल्ट

बिहार न्यूज़ डेस्क  पिता के बाद पुत्र ने बक्सर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है. अब तक के इतिहास में यहां से किसी भी पिता-पुत्र ने जीत दर्ज नहीं की थी. राजद के जगदानंद सिंह ने वर्ष 2009 में भाजपा के टिकट पर लगातार चार बार चुनाव जीत दर्ज चुके स्व लालमुनी चौबे को हराया था. वहीं उनके पुत्र सुधाकर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी मिथिलेश तिवारी को पराजित किया है. जीत की आधिकारिक घोषणा बाकी है. पिता-पुत्र के चुनाव में यह समानता रही कि कांटे में मुकाबले में दोनों जीत दर्ज की है. उस समय लालमुनी चौबे को हराना भी एक टेढ़ी खीर थी. लालमुनी चौबे ने लगातार चार बार जीत दर्ज की थी. इसके बाद कोई भी हैट्रिक तक नहीं पहुंच पाया है.

रामानंद के पुत्र ने शिवानंद ने आजमाया था भाग्य: बक्सर के पहले लोकसभा सांसद रहे स्व कमल सिंह के पुत्र युवराज चंद्रविजय सिंह व मानविजय सिंह सक्रिय राजनीति से दूर रहे. दोनों में से किसी ने भी विधानसभा तक का चुनाव नहीं लड़ा. हालांकि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में चंद्रविजय सिंह के पुत्र शिवांग विजय सिंह ने भाग्य आजमाया था. रामानंद तिवारी के पुत्र शिवानंद तिवारी वर्ष 1999 व 2004 के लोकसभा चुनाव में राजद के टिकट पर बक्सर लोकसभा मैदान में उतरे थे. परंतु उन्हें सफलता नहीं मिल पायी थी. कांग्रेस के दिग्गज नेता केके तिवारी के पुत्र तथागत हर्षवर्धन विधानसभा में अपना भाग्य आजमाने के लिए प्रयास रहे. परंतु उन्हें विधानसभा में टिकट नहीं मिल पाया है. इस बार के चुनाव में लालमुनी चौबे के पुत्र का प्रत्याशी बनने की चर्चाएं शुरू हुई थी. परंतु मिथिलेश तिवारी बाजी मार गये. अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत भागलपुर से 2015 में विधानसभा में भाग्य आजमा चुके है.

पिछले दो लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार नोटा रहा पीछे: बक्सर. लोकसभा चुनाव में नोटा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है. हालांकि पिछले दो चुनाव के रिकार्ड को पार नहीं कर पाया है. 2014 में पहली बार ईवीएम में नोटा थी. उस बार नोटा को 9179 वोट मिला था. उस चुनाव में 17 प्रत्याशी थे. नोटा सातवें स्थान पर रहा था. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में नोटा का अधिक वर्चस्व रहा था. इस चुनाव में नोटा को 16 हजार 447 वोट मिला था. 16 प्रत्याशियों में नोटा चौथे स्थान पर आ गया था. वहीं इस बार पिछले दो चुनाव के हिसाब से नोटा नहीं चल पाया. इस बार नोटा आठ हजार के ही आंकड़े को पार किया. नोटा इस बार भी सातवें स्थान पर पहुंचने में सफल रहा.

लोकसभा चुनाव परिणाम से मिला नया संदेश: चौसा. लोकसभा चुनाव का परिणाम जानने के लिए यहां के लोग भी सुबह से लेकर शाम तक टीवी और मोबाइल से चिपके रहे. कड़ी धूप में घरों से बाहर निकल कर लोगों से चुनाव परिणाम का अपडेट जानने की बजाय काफी संख्या में लोगों ने मोबाइल और टीवी से चिपके रहे. शाम होते ही अधिकांश चुनाव परिणाम सामने आने पर लोगों ने घरों से बाहर निकल चुनावी नतीजों पर अपनी-अपनी बातें रखनी शुरू कर दी. लोगों ने कहा कि यह चुनाव जनता का था. इसलिए अबकी बार जनता ने वोट देकर अपना फैसला सुना दिया है. इस चुनाव परिणाम के बाद जो नया जनादेश आया है.

यह भाजपा (एनडीए) और इंडिया गठबंधन के लिए एक नया संदेश है.

 

 

बक्सर न्यूज़ डेस्क 

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