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Bilaspur केबल लगाने के लिए नहीं मिले 19 करोड़, इसलिए हर साल 79 करोड़ की चोरी

Bilaspur केबल लगाने के लिए नहीं मिले 19 करोड़, इसलिए हर साल 79 करोड़ की चोरी

छत्तीसगढ़ न्यूज़ डेस्क, जिले में हर साल 79 करोड़ रुपए की बिजली चोरी होती है। इसे रोकने के लिए 19 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई है। दो साल से इसके लिए फंड नहीं मिला और बिजली अमला आंख मूंदकर 79 करोड़ की चोरी होते देखता रहा। तिफरा में बिजली कंपनी का जो मुख्यालय है, उसके आसपास ही बिजली चोरों ने खंभे के पास पूरा मकड़जाल बना रहा है। इसे भी पूरा अमला मिलकर नहीं हटा पाया। अब 19 करोड़ रुपए मिल तो गए हैं पर इसे पूरा होने में दो साल लग जाएंगे, तब तक हुकिंग जारी रहेगी।

बिजली चोरी से जो नुकसान होता है, उसे आम उपभोक्ताओं से वसूल किया जाता है। इसे रोकने के लिए सालों पर पहले एबी केबल लगाने की योजना थी। इसमें एल्युमिनियम के खुले तारों के स्थान पर प्लास्टिक कोटेड केबल लगाए जाने थे, ताकि कोई भी हुकिंग न कर सके। यह योजना तो बन गई लेकिन फंड नहीं मिला तो पूरा अमला बिजली चोरी होते देखता रहा। यह स्थिति तब है, जब मेंटेनेंस, वसूली व चोरी रोकने विजिलेंस की लंबी-चौड़ी टीम है।

शहर में गोकुलधाम, मिनी बस्ती, दीनदयाल कॉलोनी, तालापारा, टिकरापारा, डीपूपारा, गोंड़पारा से लेकर तोरवा तक नदी किनारे की बस्तियों में हुकिंग कर बिजली का उपयोग किया जा रहा है। तिफरा के आसपास की बस्तियों में बड़े पैमाने पर चोरियां होती हैं। इसी तरह ग्रामीण इलाकों में मस्तूरी, बिल्हा, संकरी, सीपत, तखतपुर में बेलपान के आसपास कई बस्तियों के लोग खुलेआम हुकिंग कर बिजली चोरी कर रहे हैं। सालों से यह स्थिति है, लेकिन सुधार नहीं हो रहा।


बिलासपुर न्यूज़ डेस्क!!!
 

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