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बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में लापरवाही का मामला, वीडियो में जानें कैंसर मरीज को चढ़ाया गया गलत ब्लड

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में लापरवाही का मामला, वीडियो में जानें कैंसर मरीज को चढ़ाया गया गलत ब्लड

राजस्थान के बीकानेर स्थित सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से जुड़े पीबीएम अस्पताल के आचार्य तुलसी कैंसर विंग में चिकित्सा लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। यहां उपचार के लिए भर्ती एक महिला मरीज को गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया, जिससे उसकी हालत अचानक बिगड़ गई। समय रहते परिजनों की सतर्कता और डॉक्टरों की त्वरित कार्रवाई से मरीज की जान बच गई, लेकिन इस घटना ने अस्पताल की कार्यप्रणाली और मरीजों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जानकारी के अनुसार, कैंसर विंग में भर्ती भंवरी देवी को बुधवार शाम ब्लड चढ़ाया जा रहा था। इसी दौरान वहां मौजूद एक परिजन की नजर ब्लड यूनिट पर लिखे ब्लड ग्रुप पर पड़ी। परिजन को संदेह हुआ कि ब्लड यूनिट पर दर्ज ग्रुप मरीज के ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खा रहा है। उन्होंने तुरंत नर्सिंग स्टाफ को इसकी जानकारी दी और मौके पर मौजूद डॉक्टर को भी बुलाया।

बताया जा रहा है कि उस समय कैंसर विंग में एक डॉक्टर और दो नर्सिंग स्टाफ ड्यूटी पर मौजूद थे। जांच करने पर पुष्टि हुई कि मरीज को दूसरे ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाया जा रहा था। जैसे ही यह गलती सामने आई, ब्लड ट्रांसफ्यूजन तुरंत रोक दिया गया और मरीज को इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया गया। डॉक्टरों ने तत्काल आवश्यक दवाएं और उपचार शुरू किया, जिससे भंवरी देवी की हालत धीरे-धीरे संभल गई।

घटना के बाद मरीज के परिजनों में गहरा आक्रोश देखने को मिला। उनका कहना है कि अगर समय रहते ब्लड यूनिट पर ध्यान नहीं दिया जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि कैंसर जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे मरीजों के साथ इस तरह की लापरवाही किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।

वहीं, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मामले की जानकारी मिलते ही वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है। प्रारंभिक स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है और यह पता लगाया जा रहा है कि ब्लड ग्रुप मिलान में कहां चूक हुई। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि यदि किसी भी स्तर पर लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गलत ब्लड चढ़ाया जाना मरीज के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है और इससे जान को गंभीर खतरा हो सकता है। ऐसे मामलों में अस्पतालों में तय प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जाना बेहद जरूरी है।

यह घटना एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा, स्टाफ की सतर्कता और व्यवस्थागत खामियों को उजागर करती है। अब देखना होगा कि जांच के बाद प्रशासन क्या कदम उठाता है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस उपाय किए जाते हैं।

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