मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, मध्य प्रदेश का जल संसाधन महकमा इंजीनियरों की कमी से जूझ रहा है। यहां स्थिति यह है कि कार्यपालन यंत्री के पद पर काम करने वालों को चीफ इंजीनियर पद का प्रभार सौंपा गया है। इसके पहले विभाग में इंजीनियरों की वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए संविदा पर प्रमुख अभियंता की पदस्थापना भी की जा चुकी है।
विभाग में प्रमुख अभियंता के पद पर एमएस डाबर की पदस्थापना के बाद वे रिटायर हुए तो सरकार ने उन्हें संविदा पर वापस उसी पद पर पदस्थ कर दिया था। इसके बाद उनकी संविदा अवधि खत्म हुई तो अब अधीक्षण यंत्री के पद से रिटायर हुए शिशिर कुशवाहा को प्रमुख अभियंता बना दिया गया है, जबकि कई अधीक्षण यंत्री के रूप में काम करने वाले कई इंजीनियर मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के पद की पात्रता रखते हैं।
पद कार्य पालन यंत्री का प्रभार चीफ इंजीनियर का दे दिया
जल संसाधन विभाग में इंजीनियरों की कमी से प्रभावित होने वाले काम का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पांच फरवरी 2024 को जारी आदेश में एक इंजीनियर को ऊपर के दो वरिष्ठ पदों का प्रभार सौंप दिया गया। ये इंजीनियर कार्यपालन यंत्री हैं जो पहले से कई विभागों का अधीक्षण यंत्री का प्रभार संभाल रहे थे। पांच फरवरी के आदेश में उन्हें चीफ इंजीनियर का चार्ज दे दिया गया।
जिन अफसरों को कार्यपालन यंत्री के पद पर रहते हुए प्रभारी मुख्य अभियंता बनाया गया है उसमें रामदयाल अहिरवार कार्यपालन यंत्री को मुख्य अभियंता शासन केन कछार सागर, अनिल कुमार पीपरे कार्यपालन यंत्री को मुख्य अभियंता राजघाट नहर परियोजना दतिया, तेज करण परमार कार्यपालन यंत्री को मुख्य अभियंता जल संसाधन उज्जैन तथा प्रवीण कुमार महाजन कार्यपालन यंत्री को मुख्य अभियंता यमुना कछार ग्वालियर का प्रभार सौंपा गया है।
भोपाल न्यूज़ डेस्क !!!