Bhopal महावीर स्वामी का मनाया मोक्ष कल्याणक, निर्वाण लाडू किए समर्पित, विश्व शांति के लिए की महाशांतिधारा

मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, जैन दर्शन के चौबीस वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2550वां निर्वाण महोत्सव भक्तिभाव के साथ जिलेभर के जैन मंदिरों में मनाया गया. मुख्य आयोजन सुभाषगंज जैन मंदिर पर आचार्य आर्जवसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में हुआ. जहां मुनिसंघ के चातुर्मास निष्ठापन पर चातुर्मास कलश स्थापित करने वाले श्रावक श्रेष्ठियों को कलश प्रदान किए गए. साथ ही भगवान महावीर की विशेष पूजन के साथ निर्वाण लाडू समर्पित किए गए.
गांव जैन मंदिर पर महावीर स्वामी का महामस्तिकाभिषेक के साथ विश्व शांति के लिए महाशांतिधारा की गई. इस दौरान घरों से सजाकर विशेष निर्वाण लाडू लाए गए जिन्हें श्रद्धालुओं ने महा अर्घ्य के साथ समर्पित किए. प्रात: 6.30 बजे सभी जैन मंदिरों में महावीर स्वामी का अभिषेक व शांतिधारा के साथ देवशास्त्र गुरु पूजन, भगवान महावीर स्वामी की पूजन की गई और भक्तिभाव के साथ भगवान का मोक्ष कल्याणक मनाया गया. शैलेन्द्र श्रृंगार ने बोलियों के माध्यम से निर्वाण लाडू के पात्रों का चयन किया. जिनमें प्रथम निर्वाण लाडू समर्पित करने का सौभाग्य पवन करैया को मिला. द्वित्तीय महेश कुमार घमंडी, तृत्तीय राजीव जाट, चतुर्थ मनोजकुमार जैन व पांचवा शैलेन्द्र कुमार सिंघई को मिला.
घरों में सजाईं रंगोलियां
भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण कल्याण व गौतम स्वामी के केवल ज्ञान की पूजन आराधना घरों पर की गई जिसमें भगवान महावीर स्वामी की पूजन गौतम गणधर स्वामी की महा आराधना के साथ ही घरों को मांगलिक करने वाले चौसठ रिध्दि मंत्रों से दीप प्रज्वलन कर भगवान की महा आराधना की गई. इस दौरान घरों पर विशेष साज सज्जा गई और आकर्षक रंगोलियां सजाई गई.
महावीर स्वामी ने गर्जना कर अहिंसा का डंका बजाया
आचार्य आर्जवसागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए बताया कि महावीर स्वामी ने 12 बर्ष तक लगातार तप किया. रिजुकूला नदी के किनार तालवृक्ष के नीचे उन्हें केवल्य की प्राप्ति हो गई. सौधर्म इंद्र ने समवशरण की रचना की. समवशरण में 12 सभाएं लगी थी. सब लोग बैठते थे, इंद्रभूति गणधर बन गए थे. गणधर को 63 रिद्धियां प्राप्त थी. वह भगवान की वाणी सुनकर सबको समझा रहे थे. भगवान 30 बर्ष तक घर में रहे और 12 बर्ष तक तपस्या की. अघातिया कर्मों का नाश करके अमावस्या को मोक्ष को प्राप्त किया. महावीर स्वामी ने गर्जना कर अहिंसा का डंका बजाया. आज उनका शासनकाल चल रहा है और साढ़े बर्ष तक रहेगा. जहां मुनियों का विहार होगा वहां श्रावक बनेगें, मुनियों के माध्यम से यह शासनकाल चलता रहता है. आचार्यश्री ने कहा कि आज से नया वीर निर्वाण संवत प्रारंभ हो रहा है, आज से पूरा भारत बर्षभर मनाएगा. अशोकनगर से इसकी शुरुआत हो रही है.
भोपाल न्यूज़ डेस्क !!!