Bhopal 12 कलाकारों ने 20 से ज्यादा किताबें पढ़कर तैयार की कहानी शहीद भवन में 17वां भोपाल रंग महोत्सव
मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क, शहीद भवन में आयोजित 17वें भोपाल रंग महोत्सव में नाटक ‘बगिया बांछाराम की’ का मंचन हुआ. निर्देशन शिवकुमार यादव ने किया. नाटक में बताया कि जीवन का सार यही है कि कभी भी किसी को दुख देकर, सुख नहीं पाया जा सकता. सुख की तृप्ति तभी होती है, जब आप किसी जनमानस के पवित्र कार्य में अपने को समर्पित करते हैं. नाटक में एक असहाय गरीब किसान की पीड़ा को प्रदर्शित किया है. इसमें ट्रेजडी और कॉमेडी का मिश्रण रहा.
हास्य से भरपूर संवादों के बीच जमींदार की एंट्री होती है, जो अब भूत है और कभी बांछाराम की बगिया हथियाने की कोशिश में लगा था. भूत अपना बगिया प्रेम दर्शकों को हंसते-हंसाते ही जता जाता है. कहानी तब मोड़ लेती है जब जमींदार का बेटा नौकौडी बांछाराम को लालच देकर बगिया का सौदा करता है. दो हजार रुपए महीना बांछाराम बगिया के लिए तैयार हो जाता है. नौकोडी को उम्मीद है कि बांछाराम एक दिन मर जाएगा और बगिया उसकी हो जाएगी. लेकिन कमजोरी से जूझते बांछाराम का नाती उसके जीवन में एक किरण बनकर आता है.
भोपाल न्यूज़ डेस्क !!!

