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Bhopal फीफा फीवर: सिंह परिवार में 17 फुटबॉलर, 8 नेशनल खेल चुके
 

Bhopal फीफा फीवर: सिंह परिवार में 17 फुटबॉलर, 8 नेशनल खेल चुके

मध्यप्रदेश न्यूज़ डेस्क,  कतर में फीफा विश्व कप का आगाज हो चुका है, यहां भी फैन्स में इसके हर मैच को लेकर जबदस्त जोश है. राजधानी में एक परिवार ऐसा भी है, जिसके लिए फुटबॉल सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि धर्म है. फुटबॉल के हर मैच को पूरा परिवार साथ इंजॉय करता है. इस परिवार के 17 सदस्यों में से 8 नेशनल और 6 स्टेट चैंपियनशिप खेल चुके हैं. जबकि तीसरी पीढ़ी अभी मैदान में फुटबॉल की बारीकियां सीख रही है.

इसी खेल से पूरा परिवार राजधानी में पहचाना जाता है. परिवार के मुखिया और कोच जेपी सिंह ने बताया कि फीफा विश्व कप के दौरान अधिकांश सदस्य साथ में ही मुकाबले देखते हैं और अपनी-अपनी टीम का समर्थन करते हैं. व्यस्तता के चलते अब सभी का एक साथ मिलना मुश्किल होता है. परिवारिक समारोह में ही सभी मिल पाते हैं. सिर्फ फीफा वर्ल्ड कप ही है, जिसमें हम सभी सदस्य एक साथ शामिल हो पाते हैं. इसीलिए सभी को फीफा वर्ल्ड कप का इंतजार रहता है.
वटवृक्ष हैं जेपी सिंह: जेपी सिंह ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने फुटबॉल खेलना शुरू किया था. बाद में दोनों भाई और फिर परिवार के सभी लड़के और लड़कियों ने फुटबॉल को ही चुना. मैं 1980 से फुटबॉल में सक्रिय हूं. पहले खिलाड़ी था, बाद में कोच बना और अब रेफरी की भूमिका निभा रहा हूं. राजधानी में फुटबॉल की नई पौध को तैयार कर रहा हूं. मुझे इस उपलब्धि के लिए कई सम्मान भी मिल चुके हैं. मैं आज भी उतना ही सक्रिय रहता हूं, जितना 40 साल पहले था. अभी तात्या टोपे स्टेडियम में कोचिंग भी देता हूं. भोपाल रेफरी कमेटी के हैड रेफरी के अलावा स्टूडेंट क्लब का सचिव भी हूं.
ये है पूरा परिवार: जेपी सिंह, सुनील सिंह, देवेन्द्र प्रताप सिंह, विक्रम प्रताप सिंह, गजेन्द्र प्रताप सिंह, भूपेन्द्र सिंह, सत्येन्द्र सिंह, शुभम सिंह, शालिनी सिंह, सौरभ सिंह, गौरव सिंह, कुमकुम सिंह, तनिश सिंह, पंकज सिंह, नयन सिंह, पूर्वी सिंह और समर्थ सिंह.
परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग उम्र के हैं इसलिए पसंद भी सबकी अलग-अलग है. वैसे सभी खिलाड़ियों को पसंद करते हैं, नेमार के कारण ब्राजील, मैसी के कारण अर्जेंटीना और रोनाल्डो के कारण पुर्तगाल. इसके अलावा जर्मनी और इंग्लैंड के भी प्रशंसक हैं.
पहलवानी छोड़ फुटबॉल थामी
जेपी यूनिवर्सिटी में पहलवानी करते थे, लेकिन हाथ टूटने के बाद कुश्ती को छोड़ना पड़ा. फुटबॉल के कारण ही उन्हें टेक्सटाइल मिल में नौकरी मिली. उन्होंने राजेंद्र नगर स्थित मैदान पर ही स्टूडेंट क्लब स्थापित किया और भोपाल की फुटबॉल को एक नई दिशा दी. उन्होंने इंटर क्लब-ए और बी डिवीजन टूर्नामेंट भी आयोजित किए.
लोग कहते थे लड़कों का खेल है फुटबॉल: शालिनी
फैमिली की फीमेल नेशनल प्लेयर शालिनी सिंह ने कहा कि जब फुटबॉल खेलना शुरू किया, तो लोगों ने कहा कि यह लड़कों का खेल है. कुछ सॉफ्ट गेम खेलो. तब मैंने डिसाइड किया कि इसी में कुछ करके दिखाऊंगी. अभी मुझे और आगे जाना है.

भोपाल न्यूज़ डेस्क !!!
 

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