भीलवाड़ा में अनोखी ‘नाव-बारात’, फुटेज में देखें तालाब के रास्ते 5 किलोमीटर सफर कर दुल्हन के गांव पहुंचा दूल्हा
शादियों में बैंड-बाजा, घोड़े और लग्जरी गाड़ियों की बारात अब आम बात हो चुकी है, लेकिन राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक शादी ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। गंगापुर क्षेत्र के लाखोला गांव में दूल्हा सड़क मार्ग नहीं, बल्कि तालाब के रास्ते बारात लेकर निकला। सजी-धजी सात नावों के काफिले में दूल्हा और बाराती करीब पांच किलोमीटर का सफर तय कर दुल्हन के गांव पहुंचे। यह अनोखी और रोमांचक बारात इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है।
यह खास शादी 11 दिसंबर को लाखोला गांव निवासी मांगीलाल जाट के पुत्र की थी। परिवार ने पारंपरिक तरीके से हटकर कुछ अलग करने का फैसला लिया और बारात को सड़क की बजाय तालाब के रास्ते ले जाने की योजना बनाई। इसके लिए पहले से ही पूरी तैयारी की गई। तालाब में उतरने वाली कुल सात नावों को फूल-मालाओं, रंग-बिरंगी लाइटों, गुब्बारों और पारंपरिक सजावट से आकर्षक रूप दिया गया। जैसे ही नावों का यह काफिला पानी में उतरा, पूरा नजारा किसी बड़े उत्सव जैसा दिखाई देने लगा।
नावों पर सवार दूल्हा, परिजन और बाराती DJ की धुनों पर नाचते-गाते आगे बढ़ते रहे। पानी की लहरों के बीच बजते गीत और बारातियों का उत्साह इस सफर को और भी रोमांचक बना रहा था। तालाब के रास्ते यह नाव-बारात लाखोला गांव से बगैरा गांव तक करीब पांच किलोमीटर का सफर तय कर रमेश जाट के घर पहुंची, जहां दुल्हन पक्ष ने पारंपरिक तरीके से बारात का स्वागत किया।
ग्रामीणों के अनुसार, इस क्षेत्र में इससे पहले हेलिकॉप्टर से बारात जाने जैसी चर्चाएं तो जरूर सुनी गई थीं, लेकिन तालाब के रास्ते नावों में सवार होकर बारात पहुंचने का यह पहला मामला है। इस अनोखी बारात को देखने के लिए तालाब के किनारों पर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हो गए। कई लोगों ने इस दृश्य को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया, जो अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि इस तरह की बारात निकालने का उद्देश्य शादी को यादगार बनाना और ग्रामीण संस्कृति के साथ प्रकृति से जुड़ाव को दर्शाना था। उन्होंने कहा कि तालाब गांव की जीवनरेखा है और उसी के रास्ते बारात ले जाना एक प्रतीकात्मक संदेश भी है।
इस अनोखी पहल ने न सिर्फ मेहमानों को बल्कि पूरे इलाके के लोगों को रोमांचित कर दिया। नावों पर सजी यह बारात पारंपरिक शादियों से अलग हटकर नई सोच और रचनात्मकता का उदाहरण बन गई है। भीलवाड़ा की यह नाव-बारात आने वाले समय में लंबे समय तक लोगों की यादों में बनी रहने वाली है।

