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भीलवाड़ा में नगर विकास न्यास की आवासीय योजना पर विवाद, प्रॉपर्टी डीलरों और किसानों का विरोध

भीलवाड़ा में नगर विकास न्यास की आवासीय योजना पर विवाद, प्रॉपर्टी डीलरों और किसानों का विरोध

नगर विकास न्यास (यूआईटी) भीलवाड़ा द्वारा प्रस्तावित आवासीय योजना ने जिले में विवाद खड़ा कर दिया है। यह विवाद मुख्य रूप से शहर के मास्टर प्लान 2035 और 12 गांवों के विकास क्षेत्र को लेकर है। यूआईटी के इस कदम पर प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है, वहीं स्थानीय किसानों को भी यह योजना परेशानी में डालती नजर आ रही है।

यूआईटी द्वारा आवासीय योजना का प्रस्ताव

यूआईटी भीलवाड़ा ने हाल ही में शहर के मास्टर प्लान 2035 में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों का प्रस्ताव दिया है, जिसमें नए आवासीय क्षेत्रों का निर्माण करने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस प्लान के तहत, शहर से सटे 12 गांवों के आबादी क्षेत्र में भी बदलाव प्रस्तावित किया गया है। इन प्रस्तावों में जमीन की सीमा और किसानों के क़ानूनी अधिकारों को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है, जिससे समस्या पैदा हो रही है।

प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन का विरोध

प्रॉपर्टी डीलर एसोसिएशन ने इस योजना के खिलाफ अपनी आपत्ति जताई है और इसे नियम विरुद्ध काम करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इस योजना से कई प्रॉपर्टी डीलर और निवेशक प्रभावित होंगे, क्योंकि उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गई है। एसोसिएशन के सदस्य आरोप लगा रहे हैं कि इस योजना के तहत भूमि अधिग्रहण में कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई जा रही है और यह पूरी प्रक्रिया विवादास्पद बनती जा रही है।

किसानों की चिंता और अस्पष्ट नक्शा

दूसरी ओर, किसानों को यह चिंता सता रही है कि उनकी जमीन की कितनी हिस्सेदारी इस योजना में जाएगी, इसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं है। यूआईटी ने इस संबंध में ऑनलाइन आपत्तियां मंगाई थी, लेकिन जारी किए गए नक्शे (ड्राइंग) में कई खामियां हैं। नक्शे में यह स्पष्ट नहीं है कि किस जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा और कितना क्षेत्र प्रभावित होगा, क्योंकि आराजी नंबर (जमीन के दस्तावेजी नंबर) को नहीं दर्ज किया गया है। इससे किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि उनकी कितनी ज़मीन इसके तहत जाएगी।

यूआईटी की अनदेखी और विरोध का कारण

किसानों और स्थानीय निवासियों का आरोप है कि यूआईटी ने उनके अधिकारों और जमीनों के बारे में कोई स्पष्ट संवाद नहीं किया, जिससे कई लोग इसे अपनी भूमि की जब्ती के रूप में देख रहे हैं। यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह योजना किसानों की सहमति से लागू की जा रही है या फिर यह बिना उनकी मंजूरी के उन पर थोपी जाएगी।

क्या कहना है प्रशासन का?

यूआईटी भीलवाड़ा के अधिकारियों का कहना है कि योजना के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी भी व्यक्ति को योजना में बदलाव को लेकर आपत्ति है, तो वह ऑनलाइन आपत्ति दर्ज कर सकते हैं। इसके साथ ही, प्रशासन ने दावा किया कि किसानों के लिए उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी।

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