डीग: पति की मौत से आहत महिला ने अपनी तीन बेटियों के साथ ज़हर खाया, महिला की मौत, बच्चों का इलाज जारी
जिले के डीग क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना सामने आई है। पति की मौत से गहरे आहत महिला ने अपनी तीन मासूम बेटियों के साथ ज़हर खा लिया। इस हादसे में महिला की मौत हो गई, जबकि तीनों बेटियां गंभीर हालत में अस्पताल में उपचाराधीन हैं। इस घटना ने परिवार और स्थानीय समुदाय में शोक और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
जानकारी के अनुसार, महिला और उसकी तीन बेटियां पिछले कुछ समय से मानसिक और भावनात्मक तनाव में थीं। पति की मौत के बाद परिवार का सहारा समाप्त हो गया था, और महिला अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थी। यही मानसिक दबाव महिला को यह दर्दनाक कदम उठाने पर मजबूर कर गया।
अस्पताल सूत्रों ने बताया कि तीनों मासूमों की स्थिति गंभीर है, लेकिन फिलहाल उन्हें स्थिर माना जा रहा है। डॉक्टर और नर्सेज़ उनकी देखभाल में पूरी तरह लगे हुए हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इस तरह के मामलों में मानसिक और भावनात्मक समर्थन भी उतना ही जरूरी होता है जितना कि शारीरिक उपचार।
स्थानीय लोगों ने घटना की निंदा की है और कहा कि यह एक बेहद दुखद और संवेदनशील मामला है। लोगों ने प्रशासन और समाज से अपील की है कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। घटना के दौरान अस्पताल में उपस्थित एक कर्मी ने बताया कि मासूमों ने अस्पताल में यह कहा कि “मां… अब कौन बनेगा हमारा सहारा।” इस वाक्य ने सभी को भावविभोर कर दिया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जांच में यह देखा जा रहा है कि महिला और बच्चों के पास ज़हर कैसे आया और किस परिस्थिति में यह कदम उठाया गया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटना के सभी पहलुओं की जांच की जाएगी और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामले परिवारिक संकट, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा की जरूरत को उजागर करते हैं। परिवार के बुजुर्गों, समाज और प्रशासन को समय रहते मानसिक और सामाजिक सहायता प्रदान करनी चाहिए, ताकि ऐसे घटनाओं को रोका जा सके।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए तुरंत foster care, संरक्षण गृह या परिवारिक सहायता की व्यवस्था करनी चाहिए। बच्चे इस समय मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर हैं और उनकी सुरक्षा और देखभाल प्राथमिकता होनी चाहिए।
डीग की यह घटना एक बार फिर समाज के सामने परिवारिक और मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर चुनौती को उजागर करती है। पति और मां की मौत ने तीन मासूम बेटियों के भविष्य को अस्थिर कर दिया है। प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी है कि वे बच्चों की सुरक्षा और पालन-पोषण के लिए तुरंत कदम उठाएं।

