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Bhagalpur बच्चे का शव ले जाने के लिए नहीं मिली एंबुलेंस

Raipur के चौराहों पर एंबुलेंस पहुंचते ही सिग्नल हरे हो जाएंगे

बिहार न्यूज़ डेस्क सदर अस्पताल इन दिनों किसी न किसी विवाद के मामले में सुर्खियों में बना हुआ है. ताजा मामला  का है जहां सदर अस्पताल में 12 वर्षीय आयुष के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नसीब नहीं हुई. वह मुफस्सिल थाना के रजौरा गांव निवासी राजनीति राय का पुत्र था. परिजन शव ले जाने के लिए कर्मियों से एंबुलेंस उपलब्ध कराने के लिए घिघियाते रहे लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी.

मृतक के साथ आये परिजन अमर कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल को बिहार में नंबर  सदर अस्पताल होने का गौरव प्राप्त है लेकिन  बच्चे का शव ले जाने के लिए न तो शव वाहन न ही एंबुलेंस उपलब्ध करायी जा सकी. ऐसे में सदर अस्पताल के सूबे के  नंबर अस्पताल होने पर सवाल खड़ा हो रहा है. उन्होंने बताया कि कर्मियों ने जब उनकी नहीं सुनी तो वे भाड़े पर टेम्पो लाए और उसी में शव को अपने घर ले गए.

मृतक के परिजन ने बताया कि आयुष को बुखार हुआ था.  दिनों तक बुखार होने के बाद छूट नहीं रहा था. बुखार तेज होने पर बाइक से ही उन्हें  निजी अस्पताल ले गया जहां इलाज के बाद सदर अस्पताल रेफर कर दिया. वहां से वे बच्चे को बाइक से ही सदर अस्पताल लाया. वहां चिकित्सक ने बच्चे की जांच की व उसे मृत घोषित कर दिया. इलाज करने वाले चिकित्सक का कहना है कि बच्चा मरा हुआ ही आया था.

मृत घोषित किये जाने के बाद परिजनों के द्वारा सही तरीके से जानकारी नहीं दी गयी. बाद में बच्चे का रिकॉर्ड बनाया गया.

सदर अस्पताल में  ही शव वाहन उपलब्ध है. बच्चे को जिस समय चिकित्सक के द्वारा मृत घोषित किया गया था उस समय शव वाहन किसी दूसरे शव को पहुंचाने गया था. परिजनों को चाहिए कि शव वाहन के लिए थोड़ा इंतजार करते. परेशानी हो तो सीधे डीएस से मिलें. विशेष परिस्थिति में शव वाहन नहीं होने पर भी शव ले जाने की व्यवस्था की जाती है. परिजनों के द्वारा आरोप लगाया जाना आरोप सरासर गलत है. -डॉ. संजय कुमार सिंह, प्रभारी डीएस

भागलपुर न्यूज़ डेस्क

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