
बिहार न्यूज़ डेस्क रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी की सेहत लगातार खराब होती जा रही है स्थिति यह हो गई है कि बिना रासायनिक उर्वरक के अब खेतों में उपज नहीं के बराबर होती है इसलिए किसान उपज बढ़ाने के लिए धरल्ले से रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कर रहे हैं इस वजह से यह पर्यावरण के लिए लगातार खतरा उत्पन्न कर रहा है जिला कृषि अधिकारी राजेंद्र कुमार वर्मा ने बताया कि यदि हमें मिट्टी की खराब सेहत को सुधारना है तो फिर से पारंपरिक खेती की ओर लौटना होगा जैविक खेती को बढ़ावा देना होगा जैविक खेती के द्वारा तीन सालों में मिट्टी की सेहत बहुत हद तक सुधारी जा सकती है.
यही वजह है कि जिले के किसानों का रुझान जैविक खेती की ओर बढ़ा है एक और नमामि गंगे परियोजना के तहत जिले के तीन प्रखंडों में पांच पांच सौ हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है वहीं जैविक कोरिडोर योजना के तहत जिले के 20 पंचायतों में दो हजार एकड़ में जैविक खेती शुरू की जा रही हैवही बखरी अनुमंडल में आकांक्षी जिला योजना के तहत 100 हेक्टेयर में जैविक खेती चल रही है वही कुछ किसान निजी तौर पर भी जैविक खेती कर अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं कृषि विशेषज्ञों की माने तो रासायनिक उर्वरक से उत्पन्न उत्पाद सेहत के लिए काफी नुकसानदायक होता है इसलिए हमें अब जैविक उत्पाद का सेवन करना शुरू कर देना चाहिए जिले में बड़े पैमाने पर जैविक खेती हो रही है और इससे बड़े पैमाने पर उत्पाद भी आ रहे हैं इन उत्पादों का सेवन कर हम ना सिर्फ हम अपनी सेहत सुधार सकते हैं बल्कि इस खेती के द्वारा प्रकृति का संरक्षण भी कर सकते हैं क्योंकि बढ़ते रसायन के प्रयोग से आसपास का वातावरण , जलमंडल आदि भी लगातार दूषित हो रहा है और इसका दुष्प्रभाव किसी न किसी रूप में हमारे शरीर में दिखाई दे रहा है खासकर पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ी है लोगों में हृदय रोग, किडनी रोग आदि की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है यदि हमें स्वस्थ रहना है तो जैविक उत्पाद का सेवन करना शुरू करना चाहिए जिले में पूर्व से चल रहे आईसीएस समूहों में 8 समूहों को सी थ्री सर्टिफिकेट मिल चुका है अब इनका उत्पाद पूरी तरह से जैविक माना जाएगा.
बेगूसराय न्यूज़ डेस्क