Samachar Nama
×

Begusarai कावर झील समेत ताल तलैया सूखने के कगार पर

मॉनसून की बेरुखी से झारखंड में एक बार फिर सूखे की आशंका गहराने लगी है। राज्य में अब तक औसत मॉनूसन की तुलना में 46.50 फीसदी कम बारिश हुई है। कई जिलों और इलाकों में तो खरीफ फसल की बुआई भी शुरू नहीं हुई है। खेतों में दरारें जैसे-जैसे बढ़ रही हैं, किसानों की उम्मीदें भी भरभराने लगी हैं।
 

बिहार न्यूज़ डेस्क एशिया प्रसिद्ध मीठे पानी एवं बिहार का एकमात्र रामसर साइट कावर झील जल स्तर में कमी के कारण सूखने की कगार पर पहुंचता जा रहा है.  माह आते ही कावर झील समेत क्षेत्र के ताल तालैया एवं नदी का जलस्तर काफी कम होता जा रहा है. कावर झील में पानी बहुत कम क्षेत्र में बचा है.
महालय कोचालय जैसे गहरे झील क्षेत्र में अभी पानी बचा हुआ है. गर्मी का मौसम आते ही कावर झील समेत विभिन्न ताल तलैया पोखर सूखने के कगार पर पहुंच जाएंगे. कावर झील समेत ताल तालिया,चौर में जल स्तर कम रहने के कारण भूमिगत जलस्तर में भी गिरावट जारी है. कावर झील में जलस्तर मेंटेन रहने से चारों तरफ के दर्जनों गांव में भूमिगत जल स्तर मेंटेन रहता है. अनुमंडल मुख्यालय क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर बूढ़ी गंडक नदी एवं कावर झील पर निर्भर करता है. मछुआरों ने बताया कि कम वर्षा होने के कारण इस वर्ष कावर झील समेत विभिन्न ताल तलैये पानी से भरा नहीं था. वर्ष 2007 में बूढ़ी गंडक नदी के बसही तटबंध के टूटने के कारण नदी से आई गाद के कारण कावर झील लगभग भर चुका है. जल ग्रहण क्षमता प्राप्त करने के लिए कावर झील की उड़ाही आवश्यक है. कावर झील से कावर बगरस नहर होकर लगातार पानी का प्रवाह जारी रहा. बूढ़ी गंडक नदी में भी जलस्तर काफी घटता जा रहा है. लोगों ने बताया कि बालान नदी में भी पानी बहुत काम बचा है तथा सूखने के कगार पर पहुंचता जा रहा है. जलस्तर में कमी के कारण कावर झील में मात्र छोटी मछली मिलती है.

मानसून शुरू होने के कारण पोकलेन मशीन भी पानी में फंस गया था. इस वर्ष गर्मी के मौसम में जल संकट का सामना करना पड़ेगा. भूमिगत जलस्तर में कमी से कुछ चापाकल, बोडिं़ग के फेल होने की संभावना है. मछुआरों ने बताया कि कावर झील में पानी की कमी के कारण कम मछली निकलने के कारण उनके रोजीरोटी पर संकट उत्पन्न हो गया है. जलवायु परिवर्तन का असर मौसम पर पड़ रहा है.


बेगूसराय न्यूज़ डेस्क 
 

Share this story