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Begusarai ‘मातृभाषा को समझना, व्यवहारिकता में लाना आवश्यक’
 

इसके बाद राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ने इस दिन ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की।


बिहार न्यूज़ डेस्क आज कल अंग्रेजी नौकरी पाने की एक भाषा बन गयी है. लेकिन हिन्दी हमारी मातृभाषा है. इसे हमें अपनाना नितांत आवश्यक है. मेडिकल, इंजिनियरिंग एवं आईआईटी की पढ़ाई आज से 10-15 वर्ष पूर्व अंग्रेजी में ही होती थी.


लेकिन वर्तमान समय में सभी पाठ्यक्रमों का हिन्दी में भी रूपान्तर करवाया जा चुका है. आज हिन्दी विश्व में दूसरी सबसे बड़ी बोली जानी वाली भाषा है. ये बातें डीएम रोशन कुशवाहा ने कहीं. वे कारगिल विजय सभा मदन में आज हिन्दी दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा संगोष्ठी में बोल रहे थे.
उन्होंनें कहा कि आज कल के माता-पिता सभी चाहते हैं कि उनके बच्चों का पढ़ाई-लिखाई अंग्रेजी नाध्यम में होनी चाहिये. अन्य देशों यथा-जर्मनी, चीन इत्यादि में लोग अपनी मातृभाषा को ज्यादा तब्जजो देते हैं तथा पठन-पाठन में भी अपनी भाषा का ही उपयोग करते हैं. विदेशों में वे अपनी भाषाएं जानते हैं. लेकिन दूसरी भाषा को भी जानना पसंद करते हैं. उसी प्रकार हमें भी चाहिये कि हमें अपनी मातृभाषा को समझना, व्यवहारिकता में लाना आवश्यक है. अन्यथा आने वाली पीढ़ी हिन्दी भाषा की गरिमा समझ ही नहीं पायेंगे. अपर समाहर्ता ने कहा कि हम सभी को हिन्दी भाषा के उत्तरोत्तर विकास के लिए व्यक्तिगत तौर पर प्रयास करना चाहिए. इसके लिए आवश्यक है कि हिंदी भाषा एवं साहित्य का अधिकाधिक अध्ययन करते हुए उसे आत्मसात कर दैनिक कार्यों में प्रयोग किया जाय. उन्होंने हिन्दी भाषा के विकास प्रयोग तथा सरकारी कार्यालयों में उसके प्रभावी प्रयोग पर अपनी राय रखी. उप विकास आयुक्त ने अपने संबोधन में सरकारी कार्यालयों में हिन्दी प्रयोग के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि हिन्दी दिवस के अवसर पर हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि सामान्य लेखन एवं बोलचाल में शब्दों एवं वाक्यों की शुद्धता के साथ-साथ लेखन के दौरान वचन, लिंग एवं मात्रा को त्रुटिरहित रखें. मौके पर जिला लोक शिकायत निवारण अधिकारी, राजस्व प्रभारी, जिला खेल अधिकारी, विशेष कार्य अधिकारी गोपनीय शाखा, प्रभारी अधिकारी सामान्य शाखा, जिला अल्पसंख्यक अधिकारी आदि थे.


बेगूसराय न्यूज़ डेस्क 
 

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