Begusarai उदासीनता बिहार में कभी थे 4000 सार्वजनिक पुस्तकालय, अब इक्के-दुक्के भी नहीं
बिहार न्यूज़ डेस्क बिहार अपने पुस्तक प्रेम और पाठकीय प्रचुरता के लिए ख्यात है. कभी बिहार पुस्तकालयों के मामले में बेहद धनी था. यहां 4000 से अधिक सार्वजनिक पुस्तकालय थे. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि आज पूरे प्रदेश में ये खत्म हो गए हैं. इनमें इक्के-दुक्के भी शेष नहीं है.
उधर, पूरे प्रदेश में सरकार संपोषित केवल 50 पुस्तकालय रह गए हैं. इनमें केवल पटना और पूर्णिया में राजकीय पुस्तकालय हैं, जबकि 48 प्रमंडलीय और जिला पुस्तकालय हैं. संरक्षण के अभाव में पुस्तकालय खत्म हो रहे हैं. बिहार विधानपरिषद की समिति ने यह चौंकाने वाली रिपोर्ट दी है.
समिति ने इसे बेहद दुखद बताते हुए कहा है कि पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करना जरूरी है. समिति ने पिछले दिनों यह रिपोर्ट विधानसभा को सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में पहले 4000 सार्वजनिक पुस्तकालय थे, जो बाद में घटकर 500 रह गये. अब तो ये गिनती के भी नहीं बचे हैं.
समिति ने राज्य के प्रत्येक जिला अंतर्गत ग्रामीण, प्रखंड, पंचायत व निजी पुस्तकालयों की वर्तमान स्थिति को लेकर रिपोर्ट मंगवाई थी. हालांकि इसमें कुछ जिलों से रिपोर्ट भी नहीं आई.
शारदा सदन-लालगंज, गेट पब्लिक लाइब्रेरी-पटना, महिला चरखा समिति-पटना, गोपाल नारायण सार्वजनिक पुस्तकालय, भरतपुरा-पटना, रामशरण दास पुस्तकालय, मोरदीवा-समस्तीपुर, हिंदी पुस्तकालय, सोहरसराय- नालंदा, ज्ञान निकेतन, परसौनी- सीतामढ़ी, शिवशंकर किशोरी नवल किशोर विशिष्ट पुस्तकालय-समस्तीपुर, विप्लवी विशिष्ट पुस्तकालय, गोदरगांवा-बेगूसराय, ज्योति प्रकाश मेमोरियल लाइब्रेरी-बक्सर, सुखदेव प्रसाद वर्मा विशिष्ट पुस्तकालय-जहानाबाद, मौलाना मजहरूल हक, बिहार विद्यापीठ पटना.
50 पुस्तकालयों को हर साल दी जाती है 3 करोड़ की सहायता
दो राजकीय पुस्तकालय पटना व पूर्णिया के अतिरिक्त राज्य केन्द्रीय सिन्हा लाइब्रेरी, छह प्रमंडलीय पुस्तकालय, 19 जिला केन्द्रीय पुस्तकालय, 10 अनुमंडलीय पुस्तकालय व 12 विशिष्ट लाइब्रेरी अर्थात 48 अराजकीय पुस्तकालय संचालित हैं. इन्हें राज्य सरकार सालाना तीन करोड़ की राशि देती है.
पुनर्जीवित करने की हो रही पहल
इन 4000 सार्वजनिक पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने की पहल हो रही है. पुस्तकालय एवं सूचना केन्द्र निदेशालय के निदेशक को इन पुस्तकालयों को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सरकार ने उन्हें ही इस कार्य के लिए अधिकृत किया है.
बेगूसराय न्यूज़ डेस्क