उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क स्वास्थ्य केंद्रों पर स्क्रीनिंग बढ़ाने के लिए कम्युनिटी हेल्थ अफसर की तैनाती हुई है, लेकिन प्रदेश में 50 प्रतिशत से अधिक सीएचओ हेल्थ स्क्रीनिंग ही नहीं कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. प्रदेश में 16 हजार सीएचओ हैं, जिसमें 8 हजार से अधिक ऐसे हैं, जो मरीजों की जांच में रुचि नहीं ले रहे. प्रदेश में प्रयागराज की हालत सबसे खराब है. जहां 517 सीएचओ में सिर्फ 122 हेल्थ स्क्रीनिंग कर रहे हैं.
बरेली में 355 सीएचओ की तैनाती है, जिसमें 123 हेल्थ स्क्रीनिंग नहीं कर रहे हैं. खराब जिलों की सूची में बरेली 24वें नंबर पर है. वहीं बदायूं का स्थान 22वां है. शाहजहांपुर 16वें स्थान पर है. देखा जाए तो मंडल में पीलीभी की स्थिति थोड़ी बेहतर है. यह खराब जिलों की सूची में 36वें स्थान पर है. शासन ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई है और सुधार का निर्देश दिया है. ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों की शुरुआती पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों की स्क्रीनिंग कर रहा है. स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले 30 वर्ष से अधिक उम्र के मरीजों की अनिवार्य रूप से जांच करने का निर्देश है. यह जिम्मेदारी कम्युनिटी हेल्थ अफसर (सीएचओ) को दी गई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ई-कवच पोर्टल से पता चला है कि 50 फीसदी से अधिक सीएचओ स्क्रीनिंग ही नहीं कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में 16006 सीएचओ की तैनाती है जिसमें 8004 मरीजों की जांच नहीं कर रहे हैं. इसमें प्रयागराज में सबसे अधिक 395 सीएचओ ऐसे हैं, जो स्क्रीनिंग नहीं कर रहे हैं. खराब जिलों में आजमगढ़ और गोरखपुर दूसरे स्थान पर है. दोनों जिलों में 342 सीएचओ स्क्रीनिंग में रुचि नहीं दिख रहे हैं.
मंडल में सबसे खराब हालत शाहजहांपुर की
मंडल की बात करें तो सबसे खराब स्थिति शाहजहांपुर जिले की है. ई-कवच पोर्टल पर खराब जिलों की सूची में शाहजहांपुर 16वे नंबर पर है. यहां 242 को सीएचओ में 142 ही काम कर रहे हैं. बदायूं में 249 में 126 सीएचओ ही हेल्थ स्क्रीनिंग कर रहे हैं. बरेली में 355 सीएचओ में 123 हेल्थ स्क्रीनिंग नहीं कर रहे हैं. पीलीभीत मंडल में सबसे बेहतर है. यहां 158 सीएचओ में 100 हेल्थ स्क्रीनिंग कर रहे हैं.
बस्ती न्यूज़ डेस्क