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Basti  कड़े मुकाबले वाली 18 सीटें जीतने की जद्दोजहद

Rishikesh ऋषिकेश में कार्यकर्ताओं की बैठक में हरिद्वार लोकसभा के भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  प्रदेश की 80 सीटों में 18 सीटें ऐसी हैं जहां बीते दो चुनावों से कांटे का मुकाबला होता रहा है. इनमें सपा के गढ़ शामिल हैं. भाजपा की जद्दोजहद 2019 में सपा-बसपा गठबंधन द्वारा छीनी 9 सीटें वापस पाकर 80 का आंकड़ा हासिल करने की है. देखना दिलचस्प होगा कि इन 18 सीटों पर जो दलित वोट बैंक पिछले चुनाव में गठबंधन के साथ था, वह इस बार बसपा के लिए क्या रंग दिखाता है.

ये सीटें आजमगढ़, लालगंज, संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी, सहारनपुर, अमरोहा, रामपुर, मछली शहर, फिरोजाबाद, अंबेडकरनगर, बस्ती, गाजीपुर, जौनपुर, बदायूं, कन्नौज और अमेठी व रायबरेली थीं. भाजपा के बढ़ते ग्राफ के मद्देनज़र सपा-बसपा ने वर्ष 2019 के चुनाव में गठबंधन किया और वर्ष 2014 में भाजपा द्वारा जीती गई नौ सीटें छीन लीं. ये नौ सीटें लालगंज, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, अमरोहा, गाजीपुर, अंबेडकरनगर और जौनपुर थीं. सपा को इन 18 सीटों में से आजमगढ़ और मैनपुरी बरकरार रखते हुए 11 सीटें मिलीं. भाजपा का ग्राफ 2019 में सरक कर 6 सीटों पर अटक गया. कांग्रेस भी अमेठी सीट हार गई और बमुश्किल रायबरेली सीट जीत सकी. .

लालगंज - वर्ष 2019 में यहां से सपा-बसपा गठबंधन के तहत बसपा की संगीता आजाद 54 फीसदी वोटों के साथ जीती थीं. वह भाजपा में शामिल हो चुकी हैं. भाजपा ने हालांकि नीलम सोनकर और सपा ने दरोगा सरोज को टिकट दिया है.

संभल-वर्ष 2014 में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के सत्यपाल सिंह सैनी जीते थे और 2019 में सीधी टक्कर में सपा को 55 और भाजपा के परमेश्वरी लाल सैनी को 40 फीसदी वोट मिले. इस बार सपा यहां से सांसद रहे स्व शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को मैदान में उतारा है. भाजपा ने यहां से परमेश्वर लाल को फिर टिकट दिया है.

मुरादाबाद-सपा-बसपा गठबंधन ने वर्ष 2019 में भाजपा से यह सीट छीन ली थी. इस बार किसी दल ने अभी मुरादाबाद में प्रत्याशी नहीं उतारे हैं लेकिन इतिहास बताता है कि यहां सीधी और त्रिकोणीय टक्कर में समीकरण अलग-अलग रहते हैं. सीधी टक्कर में वर्ष 2019 में सपा के एसटी हसन जीते थे और त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार सिंह...

सहारनपुर-बसपा के हाजी फजलुर्रहमान बीते चुनाव में यह सीट जीती थी. यहां से इमरान मसूद को टिकट मिलने की चर्चाएं हैं.

अमरोहा- गठबंधन के तहत बसपा से कुंवर दानिश अली ने जीती थी. भाजपा ने अमरोहा से कुंवर सिंह तंवर को उतारा है. यह सीट भी कांग्रेस के पास गई है.

रामपुर-जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता आजम खां का यहां वर्चस्व रहा है. उपचुनाव में भाजपा ने सपा के मोहम्मद आसिम रज़ा को हराकर यह सीट फिर अपनी झोली में कर ली थी. भाजपा ने उपचुनाव में जीते घनश्याम लोधी को उतारा है.

मछलीशहर-भाजपा के बीपी सरोज बसपा के त्रिभुवन राम से 181 मतों से जीते थे. टी राम अब भाजपा से विधायक हैं. यहां दलितों के साथ ओबीसी वर्ग की अच्छी तादाद है. गठबंधन के बदले साझेदार के चलते यहां मुकाबला काबिलेगौर होगा.

फिरोजाबाद-2019 के त्रिकोणीय मुकाबले में अक्षय यादव हार गए और इंद्रसेन जादौन जीते. हार की सबसे बड़ी वजह सपा परिवार के शिवपाल सिंह यादव ही थे. उन्हें 91 हजार वोट पाकर अक्षय यादव की हार का सबब बने. शिवपाल इस बार परिवार के साथ हैं और अक्षय फिर मैदान में हैं.

बस्ती- भाजपा के दो बार से सांसद हरीश द्विवेदी को फिर टिकट दिया है. वहीं सपा से राम प्रसाद चौधरी उतरे हैं. इस बार यह सीट भाजपा के लिए कठिन परीक्षा लेकर आई है.

अंबेडकरनगर-भ्ाजपा ने रितेश पाण्डेय को उतारा है. वह बसपा से वर्ष 2019 में गठबंधन प्रत्याशी के रूप में जीते थे. इस बार समाजवादी पार्टी के कद्दावर कुर्मी नेता लालजी वर्मा मैदान में उतरे हैं.

बदायूं-सपा ने शिवपाल यादव को टिकट दिया है. भाजपा ने बीते चुनावों में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को टिकट दिया था, जो 47 फीसदी वोट पाकर कांटे की टक्कर में सपा-बसपा गठबंधन के धर्मेंद्र यादव को हराने में कामयाब हुई थीं. वहां सीधी टक्कर में मत भाजपा को ज्यादा मिले. ऐसे में इस सीट पर बसपा की भूमिका भी महत्वपूर्ण बनी हुई है.

अमेठी और रायबरेली में अभी कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं दिए हैं. भाजपा ने अमेठी से स्मृति ईरानी को उतारा है. पिछली बार स्मृति कांग्रेस के राहुल गांधी को हराने में सफल हुई थीं.

 

 

बस्ती  न्यूज़ डेस्क

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