
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान हंगामा करने के करण दो पूर्व विधायक, पूर्व प्रमुख, एमएलसी प्रत्याशी समेत सात लोगों को सजा सुनाई गई है. तीन दिसंबर 2003 को एमएलसी चुनाव की मतगणना के दौरान सदर तहसील में जमकर हंगामा काटा गया था. कोर्ट के फैसले से राजनीतिक भविष्य को लेकर चर्चाएं हैं. हालांकि, इनके अधिवक्ता सजा के निलंबन करने के लिए अगली कोर्ट में अपील की तैयारी कर रहे हैं.
20 साल बाद मिली सजा राजनीतियों के लिए एक सबक जरूर दे गई है. सजा के बाद भले ही संबंधित कोर्ट से अंतरिम बेल दे दी गई है मगर इसके कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं. दो पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल (रुधौली विस) व आदित्य विक्रम सिंह (खेसरहा, अब रुधौली विस है) के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है. फिर भी आगामी लोकसभा-2024 की तैयारी करने वाले 10 साल तक विधायक रहे संजय प्रताप जायसवाल के सियासी कॅरियर पर ग्रहण दिखने लगा है. यही हाल पूर्व विधायक आदित्य विक्रम सिंह और पूर्व प्रमुख त्रयंबक पाठक का है. पूर्व प्रमुख त्रयंबक पाठक हर्रैया विधानसभा से सपा के प्रत्याशी रह चुके हैं.
चुनाव लड़ने पर रहेगी छह साल की रोक
क्रिमिनल मामलों के जानकार वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णमोहन उपाध्याय के मुताबिक जनप्रतिनिधि कानून के तहत अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में दो साल से ज्यादा की सजा हुई हो तो ऐसे में उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाती है. इतना ही नहीं सजा की अवधि पूरी करने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी माने जाते हैं. अगर अपर न्यायालय से सजा निलंबित नहीं हुई तो चुनाव लड़ने से वंचित रहना पड़ेगा.
बस्ती न्यूज़ डेस्क