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पूर्वमंत्री हरीश चौधरी ने शुरू की 'थार की बात' मुहिम, वीडियो में देखें मजबूरी के लिए टांके बनाए

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राजस्थान के थार मरुस्थल की सांस्कृतिक पहचान और पर्यावरणीय चेतना को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के उद्देश्य से पूर्व कैबिनेट मंत्री और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने एक अनूठी पहल ‘थार की बात’ की शुरुआत की है। इस मुहिम का मकसद बाड़मेर, बालोतरा और जैसलमेर जैसे मरुस्थलीय जिलों की सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, संगीत, लोकजीवन और पर्यावरण संरक्षण को संजोना और उसे दुनिया तक पहुंचाना है।

रविवार रात को हरीश चौधरी ने बाड़मेर के बनिया सांधा गांव में रेत के धोरों के बीच स्थित एक पारंपरिक टांके पर बैठकर इस अभियान की जानकारी दी। इस अवसर पर उन्होंने जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए एक विशेष वीडियो भी लॉन्च किया, जो पारंपरिक टांकों की उपयोगिता और मरुस्थलीय जीवन में उनकी भूमिका को दर्शाता है।

हरीश चौधरी ने क्या कहा:
चौधरी ने कहा, “थार सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि एक जीवंत संस्कृति है। यहां की मिट्टी में अपनापन, परंपरा और संघर्ष की कहानियां दबी हुई हैं। ‘थार की बात’ मुहिम का उद्देश्य इन कहानियों को संरक्षित करना और अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है।”

उन्होंने यह भी कहा कि जल संकट से जूझ रहे थार क्षेत्र में पारंपरिक जल स्रोतों — खासकर टांकों — को पुनर्जीवित करना अब केवल ज़रूरत नहीं, बल्कि हमारी ज़िम्मेदारी है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब तक हम अपनी जड़ों से जुड़े रहेंगे, तब तक थार भी जीवित रहेगा।

क्या है 'थार की बात' मुहिम:

  • थार की लोक संस्कृति, इतिहास, साहित्य और परंपराओं को डिजिटल माध्यम से प्रचारित करना

  • पारंपरिक जल स्त्रोतों का पुनरुद्धार और जल संरक्षण को लेकर जागरूकता

  • रेगिस्तानी पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा के लिए स्थानीय व वैश्विक स्तर पर संवाद

  • थार के लोक कलाकारों, कारीगरों और संगीतकारों को मंच प्रदान करना

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की ओर कदम:
इस मुहिम को लेकर स्थानीय लोगों और युवाओं में खासा उत्साह है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षकों और कलाकारों ने इसका समर्थन किया है और इसे थार के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम बताया है।

जल्द शुरू होंगी यात्राएं और कार्यक्रम:
बताया जा रहा है कि ‘थार की बात’ के अंतर्गत आगामी दिनों में थार के अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, डॉक्यूमेंट्री फिल्में और संवाद सत्र आयोजित किए जाएंगे।

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