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5 साल के मासूम भोमाराम ने ब्रेन डेड होने के बाद भी बचाईं दो जिंदगियां, फुटेज में देखें अंगदान बना मानवता की मिसाल

5 साल के मासूम भोमाराम ने ब्रेन डेड होने के बाद भी बचाईं दो जिंदगियां, फुटेज में देखें अंगदान बना मानवता की मिसाल

कहते हैं कि मौत के बाद भी अगर कोई किसी की जिंदगी रोशन कर दे, तो वह केवल घटना नहीं बल्कि एक मिसाल बन जाती है। राजस्थान के बालोतरा जिले की गिड़ा तहसील से ऐसा ही एक भावुक और प्रेरणादायक मामला सामने आया है, जहां महज 5 साल के मासूम भोमाराम ने ब्रेन डेड घोषित होने के बाद भी दो लोगों को नया जीवन दे दिया। इस छोटे से बच्चे के अंगदान ने न सिर्फ दो परिवारों की जिंदगी बदली, बल्कि समाज के सामने मानवता और संवेदनशीलता का अद्भुत उदाहरण भी पेश किया।

जानकारी के अनुसार, 5 वर्षीय भोमाराम को गंभीर हालत में जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। यह खबर परिवार के लिए बेहद दुखद और टूटने वाली थी, लेकिन इसी कठिन घड़ी में भोमाराम के परिजनों ने एक साहसिक और मानवीय फैसला लिया। गहरे शोक के बीच उन्होंने अपने बच्चे के अंग दान करने की सहमति दी, ताकि किसी और की जिंदगी बचाई जा सके।

परिजनों की अनुमति के बाद जोधपुर एम्स की मेडिकल टीम ने पूरी संवेदनशीलता और तत्परता के साथ अंगदान की प्रक्रिया को अंजाम दिया। भोमाराम का लिवर और दोनों किडनियां दान की गईं। इनमें से लिवर को एक गंभीर मरीज के लिए दिल्ली भेजा गया, जबकि किडनी का जोधपुर में ही सफल ट्रांसप्लांट किया गया।

लिवर को समय पर दिल्ली पहुंचाने के लिए प्रशासन और मेडिकल टीम ने मिलकर ग्रीन कॉरिडोर बनाया। जोधपुर एम्स से लेकर जोधपुर एयरपोर्ट तक ट्रैफिक को नियंत्रित किया गया, ताकि अंग को बिना किसी देरी के एयरपोर्ट पहुंचाया जा सके। इसके बाद लिवर को विशेष फ्लाइट के जरिए दिल्ली भेजा गया, जहां एक मरीज का सफल ट्रांसप्लांट किया गया। वहीं जोधपुर में किडनी ट्रांसप्लांट भी सफल रहा और मरीज की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि अंगदान किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। 5 साल के मासूम भोमाराम ने अपनी छोटी सी जिंदगी में ऐसा बड़ा काम कर दिखाया, जिसे समाज लंबे समय तक याद रखेगा। डॉक्टरों का कहना है कि समय पर लिए गए फैसले और परिजनों की सहमति के कारण यह जीवनरक्षक प्रक्रिया संभव हो पाई।

भोमाराम के परिजनों की हर तरफ सराहना हो रही है। लोग उनके इस फैसले को सच्ची मानवता और साहस का प्रतीक बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग मासूम को श्रद्धांजलि देते हुए अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अपील कर रहे हैं।

यह घटना एक बार फिर यह संदेश देती है कि अंगदान से बड़ा कोई दान नहीं होता। भोमाराम भले ही आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी वजह से दो जिंदगियां मुस्कुरा रही हैं। उसकी कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनकर हमेशा जीवित रहेगी।

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