
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नई बिलिंग प्रणाली अब सिरदर्द बन गई है. हजारों ग्रामीण उपभोक्ताओं का डेटा ही सॉफ्टवेयर से गायब हो गया है. दोबारा चालू होने के बाद भी सिस्टम पूरी स्पीड से काम नहीं कर रहा है. बिजली का एक बिल बनाने में 30 से 40 मिनट लग रहे हैं. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में नई व्यवस्था चौपट हो गई है.
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने नगर व ग्रामीण दोनों क्षेत्र के लिए एक बिलिंग प्रणाली लागू करने के लिए बीते दिनों करोड़ों रुपये के खर्च से लांच की गई नई बिलिंग प्रणाली से लाखों उपभोक्ताओं का डेटा ही पोर्टल से गायब हो गया है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम का सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के लिए दो दिन बिल जमा भी नहीं की गए थे.
दोबारा नई व्यवस्था शुरू होने पर आसानी की जगह परेशानी बढ़ गई है. उपभोक्ताओं के न बिजली के बिल बन पा रहे हैं, न ही पैसे जमा हो पा रहे हैं. वहीं बिजली संबंधी लगभग सभी कार्य डेढ़ महीने से बाधित हैं. इससे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम का राजस्व भी कम हुआ है. केवल ग्रामीण क्षेत्र में ही दो करोड़ राजस्व घट गया है. हालांकि अधिकारियों का दावा है कि सिस्टम सही होने पर रिकवरी हो जाएगी.
सॉफ्टवेयर अपग्रेड होने से कुछ समस्या उपभोक्ताओं को हो रही है, हालांकि जल्द ही उसे दुरुस्त कर लिया जाएगा. तमाम उपभोक्ताओं का डेटा भी गायब होने की जानकारी मिली है. मुख्यालय स्तर पर इसे सही किया जा रहा है. जल्द सभी समस्या दूर हो जाएगी.
- अशोक कुमार चौरसिया, अधीक्षण अभियंता ग्रामीण खंड
बरेली न्यूज़ डेस्क