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Bareilly   ग्राम काई में  किलो गेहूं जितनी ऊर्जा

शिवपुरी ऋषिकेश से 15 किलोमीटर दूर ये एक छोटा सा गांव है। व्हाइट वॉटर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग और स्‍काई डाइविंग के लिए ये जगह जानी जाती है। यहां ज्‍यादातर लोग एडवेंचर के लिए ही आते हैं।

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   गंगा के रुके जल में मिलने वाली सूक्ष्म काई की  ग्राम मात्रा से  किग्रा गेहूं के बराबर ऊर्जा मिलती है. सिंगल सेल प्रोटीन वाली काई की पोषकता गेहूं से दस गुना अधिक है. यह तथ्य इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र डॉ. आदिनाथ के शोध में सामने आया है. यह शोध करंट माइक्रोबायोलॉजी इंपैक्ट फैक्टर 2.6 के हालिया अंक में प्रकाशित हुआ है. काई (स्पिरुलिना प्लैटेंसिस) से सेहतमंद खाद्य पदार्थ बनते हैं.

डॉ. आदिनाथ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बायोकेमेस्ट्री की प्रो. शांथि सुंदरम के निर्देशन में शोध कार्य किया है. वह वर्तमान में एनजीबीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनका दावा है कि स्पिरुलिना प्लैटेंसिस की सूक्ष्म काई को गंगा के रुके हुए जल से निकाला गया, जो कि सिंगल सेल प्रोटीन है.

इसकी पोषकता गेहूं में पाए जाने वाले ग्लीएडिन्न प्रोटीन से दस गुना अधिक मिली.  किलोग्राम गेहूं से जितनी ऊर्जा मिलेगी, उतना सिर्फ  ग्राम स्पिरुलिना से मिल जाएगी. बाजार में 100 ग्राम का स्पिरुलिना बिस्किट 320 रुपये में उपलब्ध है. इसके साथ ही स्पिरुलिना टैबलेट, स्पिरुलिना घोल पाउडर भी बन रहे हैं.

 गंगा के रुके जल से निकाली गई सूक्ष्म काई पर किया शोध

● सिंगल सेल प्रोटीन काई की पोषकता गेहूं से दस गुना अधिक

● काई (स्पिरुलिना प्लैटेंसिस) से बनते हैं सेहतमंद खाद्य पदार्थ

● बिस्किट, टैबलेट, पौष्टिक घोल पाउडर तैयार हो रहा काई से

क्रोमियम की अल्प मात्रा भी प्राकाशी श्वसन को बढ़ाती है

डॉ. आदिनाथ ने बताया कि क्रोमियम का मुख्य स्रोत रुके हुए गंगा जल में रंगयुक्त विभिन्न मूर्तियां (जो विविध महोत्सव के बाद जल में विसर्जित कर दी जाती हैं) हैं. क्रोमियम की अल्प मात्रा भी प्राकाशी श्वसन को बढ़ा देती है तथा प्रकाश संश्लेषण की दर को घटा देती है. इस तरह उसकी वृद्धि और उसमें बनने वाली प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा घट जाती है और लिपिड की मात्रा बढ़ जाती है.

 

 

बरेली न्यूज़ डेस्क

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