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सास के इल‍ाज के ल‍िए बहू ने अपने बच्‍चे को गड़र‍ियों के पास गिरवी रखा, स्‍कूल की जगह जाने लगा भेड़ चराने 

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बांसवाड़ा जिले के मुंडासेल ग्राम पंचायत में एक मां ने अपने बच्चे को चरवाहों के पास बंधक बनाकर रख दिया था। बच्चा किसी तरह इंदौर के फतेहाबाद थाने पहुंचा और मदद की गुहार लगाई। बच्चे ने बताया कि वह वहां नहीं रह सकता और घर जाना चाहता है। स्थानीय चाइल्ड हेल्पलाइन और जिला बाल कल्याण समिति इंदौर की मदद से बच्चे को लोक बिरादरी ट्रस्ट (अरमान संस्था) में पुनर्वासित किया गया। इसके बाद बांसवाड़ा बाल कल्याण समिति को मामले की जानकारी दी गई।

बच्चे ने थाने पहुंचकर पूरी कहानी बताई

बांसवाड़ा जिले के मुंडासेल ग्राम पंचायत निवासी बच्चे ने इंदौर के फतेहाबाद थाने पहुंचकर पुलिस को पूरी कहानी बताई। पुलिस ने बताया कि वह घर जाना चाहता था। बच्चे के वापस आने के बाद जब चाइल्ड लाइन की टीम उसके घर पहुंची तो बच्चे की मां ने बताया कि उसकी सास बहुत बीमार है। दवाई के लिए पैसों की जरूरत थी, इसलिए कुछ पैसों के लिए बच्चे को चरवाहों को सौंप दिया गया।

पैसे देकर गिरवी रखा था बच्चा
दूसरा मामला प्रतापगढ़ जिले की पीपलखूंटा पंचायत समिति का है, जो अभी इंदौर में है। बच्चे को भेड़ चराने भेजा गया था। इसके लिए दो वक्त का खाना दिया जाता था। परिवार को एकमुश्त रकम देकर बच्चे को गिरवी रख दिया गया।

चौपाल आयोजित कर बच्चे का पुनर्वास कराया

जिला बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष दिलीप रोकड़िया ने तत्काल चाइल्डलाइन टीम से संपर्क कर बच्चे की सामाजिक पृष्ठभूमि की जानकारी ली। जांच में पता चला कि दूसरा बच्चा पीपलखूंटा पंचायत समिति का है, जिसे भी भेड़ चराने भेजा गया था। करीब एक महीने बाद इंदौर की बाल कल्याण समिति ने बच्चे को बांसवाड़ा समिति को सौंप दिया। इसके बाद ग्राम पंचायत मुंडासेल में चौपाल आयोजित कर बच्चे का पारिवारिक माहौल में पुनर्वास कराया गया।

चेतावनी- दोबारा ऐसा हुआ तो कार्रवाई की जाएगी

इस चौपाल में किशोर न्यायालय के अध्यक्ष (प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट) मौजूद थे। कार्यक्रम में बाल श्रम रोकने के मुद्दे पर चर्चा की गई तथा स्थानीय सरपंच, वार्ड पंच, ग्रामीणों ने शपथ ली कि भविष्य में किसी भी बच्चे को बाल श्रम के लिए नहीं भेजा जाएगा। बाल अधिकार विभाग के सहायक निदेशक हेमंत खटीक ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि कुछ अभिभावक अभी भी अपने बच्चों को ऐसे खतरनाक कामों में भेजते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि भविष्य में ऐसा हुआ तो संबंधित परिवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

5वीं कक्षा तक पढ़ा है बच्चा

राजकीय संचार गृह के अधीक्षक नानूलाल रोत ने बताया कि बच्चा 5वीं कक्षा तक पढ़ा है तथा अब उसकी दोबारा पढ़ाई की व्यवस्था की जा रही है। चाइल्डलाइन समन्वयक कमलेश बनकर ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन फिर भी बच्चों को खतरनाक कामों में भेजना दुर्भाग्यपूर्ण है।

गांव स्तर से शुरू होनी चाहिए बदलाव

कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन से जुड़े धर्मेश भारद्वाज ने इस पुनर्वास को एक मिसाल बताया तथा कहा कि गांव स्तर से ही बदलाव की शुरुआत होनी चाहिए। इस दौरान सरपंच सविता देवी, पीयूष जैन, रत्नेश्वर निनामा, लक्ष्मण मईड़ा, रमेश निनामा, शांति देवी, आरती लस्सी, कैला देवी, वार्ड पंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। इस पुनर्वास प्रक्रिया को जिले में बाल अधिकारों के संरक्षण की दिशा में एक सशक्त पहल और प्रेरणा माना जा रहा है।

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