
राजस्थान न्यूज़ डेस्क, राजस्थान वानिकी एवं वन्य जीव प्रशिक्षण संस्थान के निर्देशानुसार नवनियुक्त वनपालों का अलवर के सरिस्का में प्रशिक्षण जारी है। पहले दिन वनपालों को सरिस्का में टाइगर व पैंथर के पगमार्क पहचान की ट्रेनिंग दी गई। अन्य तरह के वन्यजीवों के बारे में बताया गया। यह ट्रेनिंग 19 नवंबर से 1 दिसंबर तक चलेगी।
बाघ परियोजना सरिस्का में नवनियुक्त वनपालों को नाका एवं चौकियों पर अटैच कर वाइल्ड लाइफ मॉड्यूल पर 57 (41 पुरूष एवं 16 महिला) वनपालों को वन सुरक्षा एवं वन्य जीव प्रबंधन संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी। पहले दिन वैज्ञानिक बिवास पाण्डव ने वनपालों की प्रातः ट्रेंकिग कराई गई।
इस दौरान डॉ बिवास पाण्डव ने वन्य जीव के आवास, वन्य जीवों की पहचान, वनस्पति की पहचान आदि की विस्तृत जानकारी दी। ट्रेकिंग के दौरान सभी वनपालों ने करणाकाबास में बाघ के पगमार्क एवं हायना का ट्रेक देखा। इसके अलावा मगरमच्छ, चीतल, जंगली सूअर, मोर, चकबा-चकबी पक्षी आदि प्रत्यक्ष देखे।
इसके बाद एन.आई.सी. भवन सरिस्का में उप वन संरक्षक, बाघ परियोजना सरिस्का ने सरिस्का के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। डॉ प्रदीप मलिक ने वन्य जीवों में बीमारी एवं उनके बचाव वृक्षों के प्रकार एवं पारिस्थितिकी वन्य जीवों के रेस्क्यू के दौरान उपयोगी उपकरण एवं सरिस्का में विश्व में सर्वप्रथम बाघ पुनर्वास के संबंध में जानकारी दी।
अलवर न्यूज़ डेस्क!!!