
राजस्थान न्यूज डेस्क, भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के बैनर तले चंबल नहर के पानी की मांग को लेकर तिबरे, अलवर भरतपुर रोड, खोरपुरी में किसान पंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें क्षेत्र के किसानों ने भाग लिया। भाकियू प्रभारी वीरेंद्र मोरे ने बताया कि ईआरसीपी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का प्रोजेक्ट राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017 में बनाया गया था. डीएमआईसी उद्योग।
जो कि किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। चंबल की नहर के पानी पर पहला हक किसान का है। इस संदर्भ में क्षेत्र के किसान लंबे समय से ईआरसीपी परियोजना की डीपीआर में संशोधन करने और रुपारेल नदी के जलग्रहण क्षेत्र को अलवर जिले की डीपीआर में जोड़ने की मांग कर रहे हैं, ताकि जब भी अलवर में चंबल का पानी आए, किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों को सीधा लाभ मिल सकता है। वर्तमान में क्षेत्र के कई गांवों की हालत ऐसी है कि पीने का पानी भी टैंकर से मंगवाया जा रहा है. गिरते जल स्तर के कारण हजार फीट पर भी बोरवेल लगाना मुश्किल हो गया है।
गौरतलब है कि ईआरसीपी परियोजना जिसे 2017 से 2023 तक 7 वर्षों में 3 चरणों में पूरा किया जाना था। लेकिन अभी तक न तो केंद्र सरकार ने इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया है और न ही राज्य सरकार ने मुख्य नदी नालों को जोड़ने के लिए डीपीआर में संशोधन किया है। और जिले के बांध। इस दौरान पंचायत के समर्थन में रामगढ़ पंचायत समिति के प्रधान नसरू खान भी पहुंचे और कहा कि किसानों की पानी की मांग को लेकर पार्टी स्तर पर हर संभव प्रयास करेंगे. इस मौके पर सूरज चौधरी, मौलाना हनीफ, राधेश्याम, रत्ती जाट, कोमल सरपंच, जुम्मा सरपंच, दलप्रीत, श्रीराम गुर्जर, ताहिर खान, हेतराम सरपंच, मुकेश यादव, पूर्व सरपंच रामजीलाल व गंगाराम चौधरी आदि मौजूद रहे।
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