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‘एक पाती अलवर के नाम’ के जरिए भूपेंद्र यादव ने दी सफाई, वीडियो में देखें बोले— अरावली पूरी तरह सुरक्षित, संरक्षण से कोई समझौता नहीं

‘एक पाती अलवर के नाम’ के जरिए भूपेंद्र यादव ने दी सफाई, वीडियो में देखें बोले— अरावली पूरी तरह सुरक्षित, संरक्षण से कोई समझौता नहीं

अलवर संसदीय क्षेत्र से सांसद एवं केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर्वतमाला को लेकर उठ रहे सवालों और आशंकाओं पर स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने ‘एक पाती अलवर के नाम’ शीर्षक से लिखे पत्र के माध्यम से कहा है कि अरावली पर्वतमाला पूरी तरह सुरक्षित है और इसके संरक्षण से किसी भी स्तर पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय पर्यावरण संरक्षण, अवैध खनन पर रोक और सतत विकास के बीच संतुलन को ध्यान में रखते हुए दिया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने पत्र में लिखा कि अलवर अरावली पर्वतमाला का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह क्षेत्र न केवल प्राकृतिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि जैव विविधता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। अलवर में स्थित सरिस्का टाइगर रिजर्व और सिलीसेढ़ झील जैसी प्राकृतिक धरोहरें न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश की अमूल्य धरोहर हैं। इनका संरक्षण और विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है।

भूपेंद्र यादव ने कहा कि अरावली पर्वतमाला उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह पर्वतमाला जल संरक्षण, भूजल रिचार्ज, जैव विविधता और जलवायु संतुलन के लिए रीढ़ की हड्डी समान है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उद्देश्य अरावली क्षेत्र में अवैध गतिविधियों, विशेषकर अवैध खनन पर सख्ती से रोक लगाना है, न कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना।

पत्र में उन्होंने उन आशंकाओं को भी खारिज किया, जिनमें कहा जा रहा था कि न्यायालय के निर्णय से अरावली को खतरा पैदा हो सकता है। सांसद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही मिलकर यह सुनिश्चित कर रही हैं कि विकास कार्य पर्यावरण के अनुकूल हों और किसी भी तरह से प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचे। उन्होंने ‘सतत विकास’ की अवधारणा पर जोर देते हुए कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं।

केंद्रीय मंत्री ने अलवर के नागरिकों को भरोसा दिलाया कि सरिस्का टाइगर रिजर्व, सिलीसेढ़ झील और अरावली क्षेत्र की हरियाली को सुरक्षित रखने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। वन्यजीव संरक्षण, जल स्रोतों की सुरक्षा और हरित क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है।

भूपेंद्र यादव ने अपने पत्र में जनता से भी अपील की कि वे भ्रामक सूचनाओं से सावधान रहें और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों में सरकार का सहयोग करें। उन्होंने कहा कि अरावली सिर्फ पहाड़ों की श्रृंखला नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की सुरक्षा है।

अंत में उन्होंने आश्वस्त किया कि अलवर सहित पूरे अरावली क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, कानून का पालन और विकास के बीच संतुलन बनाए रखा जाएगा। ‘एक पाती अलवर के नाम’ के जरिए उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया कि अरावली सुरक्षित है और रहेगी, और इसके संरक्षण को लेकर सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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