
राजस्थान न्यूज डेस्क, मेरे सपनों काे दादा ने बुना और मैंने उन्हें पूरा किया। जो मुझे हमेशा मोटिवेट किया करते थे। मुझे भारतीय प्रशासनिक सेवा के सबसे ऊंचे पद पर देखना चाहते थे। लेकिन अब वो दुनिया में नहीं हैं। अगर आज वो होते तो, उनके बुने हुए सपनाें को देख पाते और मेरी खुशियों को चार चांद लग जाते। मेरे दादा मेरे आइडल थे। लेकिन आज वो जहां भी हैं, मेरे सक्सेस को देखकर खुश होगें। उन्हीं का आशीर्वाद है कि आज मैं यहां पहुंची हूं।
ये बात यूपीएससी में चयनित और जर्नल कैटेगरी में 522वीं रैंक हासिल करने वाली बहरोड़ के गांव बर्डोद निवासी मनीषा भारद्वाज ने कही। मनीषा ने पहले की प्रयास में सफलता हासिल की है। वे परिवार सहित दिल्ली निवास करते हैं। जो आयोजनों के दौरान ही गांव आते हैं। मनीषा मेडिकल साइंस में ग्रेजुएशन कर चुकी हैं और अभी पीजी कर रही हैं।
मनीषा भारद्वाज ने कहा कि हर मिडिल क्लॉस के बच्चे की तरह मेरी भी विश थी सेटलड होने की। भारत की महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित जॉब भारतीय सिविल सर्विस में ज्वाॅइन करने की। मेरी सफलता के पीछे दादाजी स्व. मुसद्दीलाल भारद्वाज और मेरे पूरे परिवार का अहम योगदान है। इन्होंने ही मुझे मोटिवेट एवं सपोर्ट किया।
अलवर न्यूज डेस्क!!!