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Allahbad एसआरएन अस्पताल में जल्द शुरू होगा किडनी ट्रांसप्लांट

Jodhpur  अंगदान की जंग: 4 साल बाद किडनी ट्रांसप्लांट की उम्मीद, 3 साल से ऑर्गन रिट्रीवल सेंटर का इंतजार
 

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   किडनी यानी गुर्दा. शरीर का ऐसा अनमोल अंग जो जीवन हमारे खून की सारी गंदगी को साफ करता है.
लेकिन यदि दोनों गुर्दा सक्रिय नहीं हैं तो भी घबराने की जरूरत नहीं हैं क्योंकि एसआरएन अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट यानी गुर्दा प्रत्यारोपण की सुविधा अगले साल जनवरी से शुरू होने वाली है. इसके लिए मेडिकल कॉलेज की ओर से सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. गुर्दा प्रत्यारोपण का कार्य मुख्य रूप से मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलोजी विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद गुप्ता और इनकी टीम करेगी.


पीएमएसएसवाई भवन में प्रत्यारोपण यूनिट तैयार अस्पताल प्रबंधन को गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से अनुमति मिल गई है. प्रत्यारोपण का कार्य पीएमएसएसवाई भवन में होगा. इसमें इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी, आईसीयू बैकअप, बेड साइड अल्ट्रासाउंड और 30 बेड उपलब्ध हैं. डॉ. गुप्ता ने बताया कि गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए डॉक्टरों की टीम तैयार की गई है. उनका तकनीकी प्रशिक्षण भी पूरा हो गया है. डॉक्टरों की टीम में नेफ्रोलोजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सौरभ मौर्य, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सना सादाब और डॉ. सौम्या गुप्ता शामिल हैं. मौजूदा दौर में लोग बड़ी संख्या में मूत्र, किडनी, प्रोस्टेट संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं. प्राथमिक रूप से ऐसे लोग इधर-उधर इलाज कराते हैं. लेकिन जब डायलिसिस होने की स्थिति होती है तब अस्पताल आते हैं. उन्होंने बताया कि यदि शुरुआती लक्षण में ही डॉक्टर से परामर्श लें तो डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की नौबत नहीं आएगी.
एसआरएन अस्पताल में गुर्दा प्रत्यारोपण होने से प्रयागराज और आसपास के जिलों के मरीजों की परेशानी दूर होगी. यह सुविधा शुरू होने से किडनी मरीजों को निजी अस्पतालों के महंगे इलाज पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. अस्पताल में मरीजों को रियायती दर पर उपचार मिलेगा. प्रदेश सरकार की ओर से यह सुविधा प्रदान करना मेडिकल कॉलेज के लिए बड़ी उपलब्धि है. -डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज
डॉ. सौरभ मौर्या ने बताया कि निजी अस्पतालों में गुर्दा प्रत्यारोपण का खर्च 10 से  लाख रुपये आता है लेकिन सरकारी अस्पताल में यह खर्च 5-6 लाख रुपये होता है. वहीं मरीज को डायलिसिस कराने में जो खर्च होता है उससे गुर्दा प्रत्यारोपण का खर्च कम आता है. कई बड़े अस्पतालों में र्गु्दा प्रत्यारोपण के लिए पंजीकरण कराने के एक साल बाद नंबर आता है. वरिष्ठ डायलिसिस तकनीशियन सीएल तिवारी ने बताया कि एसआरएन में हर माह लगभग 800 मरीजों की डायलिसिस की जाती है


इलाहाबाद न्यूज़ डेस्क
 

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