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Allahbad इतिहास समेटे है हिंदी पत्रकारिता
 

Allahbad इतिहास समेटे है हिंदी पत्रकारिता


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  हिंदी पत्रकारिता और साहित्य निर्माण विषय पर दो दिनी राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हिन्दुस्तानी एकेडमी सभागार में  हुआ. राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. नंद किशोर पांडेय ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता 200 वर्षों के इतिहास को समेटे है. स्वतंत्रता आंदोलन को आगे बढ़ाने का काम

हिंदी पत्रकारिता ने ही किया था. स्वावलंबी भारत, स्वाभिमानी भारत, स्वदेशी भारत, अस्पृश्यता का विरोध करने वाला भारत और स्वभाषा के विकास के लिए प्रयत्नशील भारत का निर्माण इसी हिंदी पत्रकारिता के ही माध्यम से हो रहा है.
कालीकट विश्वविद्यालय केरल के प्रो. प्रमोद कोपव्रत ने कहा कि दक्षिण में भी हिंदी और हिंदी पत्रकारिता की जड़ें मौजूद हैं. प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि विश्वसनीयता, ग्राह्यता, पठनीयता पत्रकारिता की बड़ी विशेषताएं हैं. डॉ. राजेश कुमार गर्ग ने कहा कि पत्रकारिता केवल समाज व साहित्य निर्माण ही नहीं करती, बल्कि राष्ट्रबोध और अखंडता की भी संवाहक होती है. प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि त्रिपुरा जैसी जगह में प्रारंभ में हिंदी पत्र और पत्रिकाएं हफ्तों विलंब से पहुंचती थीं. फिर भी लोग उनकी प्रतीक्षा करते थे. वर्तमान अतीत के बिना नहीं चलता. राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के प्रो. सत्यपाल तिवारी जी ने कहा कि पत्रकारिता व्यापक आयाम है. डॉ. अमरेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि पूर्वोत्तर सहित समग्र भारत को एकता के सूत्र में पिरोने की विधा हिंदी पत्रकारिता है. नेहरू ग्राम भारती की डॉ. ममता मिश्रा ने कहा कि राष्ट्रीय भावना का निर्माण हो या समाज के यथार्थ बोध का प्रकटीकरण पत्रकारिता इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. इस अवसर पर डॉ. चितरंजन कुमार, डॉ. विजय कुमार रविदास,डॉ. शिव कुमार यादव आदि मौजूद रहे.


इलाहाबाद न्यूज़ डेस्क
 

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