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Allahbad देहवाद से दूर हैं कादंबरी की कविताएं प्रो. राजेंद्र
 

हुमायूं ने खुद की फारसी में लिखी कविताएं भी भेजीं लेकिन अकबर नहीं पढ़ा। अकबर की समझ में किताबी ज्ञान नहीं आता था।


उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   जन संस्कृति मंच की ओर से  मेयोहॉल के पास स्थित अंजुमन रूह-ए-अदब सभागार में काव्य पाठ और परिचर्चा आयोजित की गई. इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्रत्त् विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर व कवयित्री कविता कादंबरी ने कहा कि कविताएं अपने समाज की प्रतिरक्षा युक्ति के रूप में उपजी हैं. उन्होंने अपनी कविता ‘मेरी दुनिया है कि गोल ही नहीं होती’, ‘बेईमान प्रार्थनाएं’, ‘बुद्ध की लिंचिंग’, ‘आधा हिन्दू आधा मुसलमान’, ‘मेरे बेटे’, ‘मुहावरे’, ‘अग्निपाखी’, ‘दुनिया के सबसे शानदार पुरुष’, ‘तुम्हारे शोहबत के फूल’ का पाठ किया. अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ आलोचक व कवि प्रो. राजेन्द्र कुमार ने कहा कि कादंबरी की कविताओं में वह देहवाद नहीं है, जो स्त्रत्त्ी विमर्श का मुहावरा हुआ करता था. साथ ही यह कविताएं स्त्रत्त्ी को जानने के उपक्रम में हैं. वरिष्ठ कवि हरिशचंद्र पांडे ने कादंबरी की कविताओं में शिल्प और कथ्य पर प्रकाश डाला. संचालन जन संस्कृति मंच की सचिव शिवानी ने किया.


पोस्टर में इशिता प्रथम, रिया द्वितीय
एसएस खन्ना गर्ल्स डिग्री कॉलेज में विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर  विशेष व्याख्यान हुआ. डॉ. रवि टंडन ने ओजोन मित्र या शत्रु विषय को रेखांकित किया. पोस्टर प्रतियोगिता में 50 से अधिक प्रविष्टियों के साथ विज्ञान, कला, वाणिज्य, कानून और बीएड सहित विभिन्न संकायों से सक्रिय भागीदारी देखी गई. इशिता भारद्वाज प्रथम, रिया गुप्ता द्वितीय, सिफा फातिमा एवं स्वाति भारतीय को तृतीय पुरस्कार दिया गया. इस अवसर पर प्राचार्य प्रो. लालिमा सिंह, डॉ. सिप्पी सिंह, डॉ. अनुराधा, डॉ. शुभ्रा मालवीय, डॉ. प्रीति सिंह, डॉ. आलोक मालवीय, डॉ. ऋचा टंडन आदि मौजूद रहीं.

इलाहाबाद न्यूज़ डेस्क
 

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