उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क सरोकार संस्था की ओर से हिंदुस्तानी एकेडेमी में प्रो. ओपी मालवीय एवं भारती मालवीय सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. समारोह के छठवें संस्करण में इस वर्ष के लिए प्रख्यात कहानीकार पंकज मित्र को सम्मानित किया गया. पुरस्कार स्वरूप कहानीकार को 25 हजार रुपये की धनराशि, अंगवस्त्रत्त्म् व स्मृति चिह्न प्रदान किया गया. पहले सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. एसके पांडेय ने प्रो. मालवीय के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे असंभवों का समन्वय और समर्पित शिक्षक व प्रतिबद्ध समाजसेवी थे. डीआरडीओ में तैनात डॉ. परितोष मालवीय ने बताया कि प्रो. मालवीय के सानिध्य में उनके जीवन की दिशा बदल गई.
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार विभूति नारायण राय ने कहा कि प्रो. मालवीय की तरह ही उनकी पत्नी भी सरल व सहज व्यक्तित्व की धनी थीं. सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति वे आजीवन प्रतिबद्ध रहे. कहानीकार पंकज मित्र के रचनाकर्मों व हिंदी साहित्य में उनके अवदान विषय पर वरिष्ठ कहानीकार मनोज पांडेय ने कहा कि 90 के दशक के बाद हमारे समाज के बदलाव उनकी कहानियों का प्रमुख स्वर है. वे चरित्रों को उनकी तमाम कमजोरियों के साथ उनकी वास्तविकता में प्रस्तुत करते हैं. दूसरा सत्र हिंदी लेखकों के समक्ष चुनौतियां एवं उनका दायित्व विषय पर रहा. विषय प्रवर्तन करते हुए इविवि के प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि 90 के दौर में प्रारंभ हुई संचार क्रांति ने साहित्य के लिए आवश्यक अवकाश का अतिक्रमण कर लिया है. प्रख्यात समालोचक प्रो. राजेंद्र कुमार ने कहा कि आज युवाओं के सामने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी गईं हैं कि वे साहित्य की तऱफ नहीं जा रहे हैं. आज समाज में असहमतियों के लिए जगह सिकुड़ रही है. विषय पर प्रो. कुमार बीरेंद्र व कहानीकार योगेंद्र आहूजा ने भी प्रकाश डाला.
अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक रवि भूषण ने की, संचालन प्रेमशंकर व प्रियदर्शन मालवीय ने धन्यवाद ज्ञापित किया. आखिरी सत्र में शास्त्रत्त्ीय संगीत संध्या का आयोजन हुआ. पंडित अनूप बनर्जी ने एकल तबला वादन तो पंडित विजय चंद्रा ने सिंथेसाइजर राग बागेश्वरी की मनमोहक प्रस्तुति की. पंडित प्रवर टंडन ने बांसुरी पर राम मालकोश की प्रस्तुति से समां बांधा. इस सत्र का संचालन रत्नेश दुबे व धन्यवाद उत्कर्ष मालवीय ने किया.
इलाहाबाद न्यूज़ डेस्क

