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Allahabad परिसीमन ने बदल दिया था दोनों संसदीय सीटों का भूगोल

केवल वोट के लिये ही नहीं कमाई की भी ताकत है ये कंपनी, पिछले चुनाव से अबतक हुआ 700% का मुनाफा

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क  15वीं लोकसभा के लिए 2009 में हुआ आम चुनाव कई मायनों में खास रहा. परिसीमन ने जिले की दोनों सीटों का भूगोल बिल्कुल बदल दिया था. शहर के तीन में से दो विधानसभा क्षेत्र शहर उत्तरी और शहर पश्चिमी फूलपुर संसदीय क्षेत्र में शामिल हो गए थे. गंगापार के  में तीन सोरांव, फूलपुर और फाफामऊ विधानसभा क्षेत्र फूलपुर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा रहे जबकि प्रतापपुर और हंड़िया को पड़ोसी जिले की भदोही संसदीय सीट में जोड़ दिया गया था. इलाहाबाद संसदीय सीट में यमुनापार के  विधानसभा क्षेत्र करछना, बारा, मेजा और कोरांव के साथ शहर का एक मात्र विधानसभा क्षेत्र शहर दक्षिणी रहा.

इलाहाबाद सीट पर सपा ने निवर्तमान सांसद रेवती रमण सिंह पर फिर भरोसा जताया था तो उनसे मुकाबला करने के लिए बसपा से अशोक बाजपेई मैदान में उतरे थे. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेंद्री कुमारी बाजपेयी के पुत्र अशोक बाजपेई कांग्रेस छोड़कर बसपा में शामिल हुए थे. भाजपा से योगेश शुक्ला और कांग्रेस से श्यामकृष्ण पांडेय ने चुनौती पेश की थी. तीन ब्राह्मण उम्मीदवारों के बीच वोट बंट जाने का सीधा लाभ रेवती रमण सिंह को मिला और वह दोबारा सांसद बन इस क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए संसद पहुंचे थे.

इस बार फूलपुर में पहली बार बसपा को कामयाबी मिली थी. हालांकि बसपा ने दोनों सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे थे पर सफलता कपिलमुनि करवरिया को ही मिली थी. उनसे मुकाबले को सपा से श्यामाचरण गुप्ता उतरे थे. 2009 के चुनाव में सपा का टिकट न मिलने पर पूर्व सांसद धर्मराज सिंह पटेल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कांग्रेस ने उन्हें फूलपुर से चुनाव मैदान में उतारा था जबकि भाजपा ने करन सिंह पटेल पर दांव लगाया था. कपिल मुनि करवरिया कड़े मुकाबले में श्यामाचरण से साढ़े चौदह हजार मतों से ही जीत सके थे. ऐसा कहा जाता है कि इस चुनाव में तीन पटेल उम्मीदवारों की वजह से सपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा था.

चायल सीट हुई कौशाम्बी, जीती सपा

परिसीमन के बाद चायल सीट का नाम बदलकर कौशाम्बी कर दिया गया. 2009 में हुए चुनाव में इस सीट पर सपा के शैलेंद्र कुमार का कब्जा बरकरार रहा. इस बार उन्होंने बसपा के गिरीश चंद पासी को पराजित कर यह सीट अपने नाम की थी. कांग्रेस के राम निहोर राकेश तीसरे तो भाजपा के गौतम चौधरी चौथे स्थान पर थे.

इलाहाबाद

कुंवर रेवती रमण सिंह सपा 209431

अशोक कुमार बाजपेई बसपा 174511

योगेश शुक्ला भाजपा 60997

श्याम कृष्ण पांडेय कांग्रेस 37028

बिहारी लाल शर्मा अपना दल 22086

फूलपुर

कपिलमुनि करवरिया बसपा 167542

श्यामा चरण गुप्त सपा 152964

धर्मराज सिंह पटेल कांग्रेस 67623

करन सिंह पटेल भाजपा 44828

डॉ. सोने लाल पटेल निर्दल 76699

प्रदीप श्रीवास्तव अपना दल 1438

राष्ट्रीय अध्यक्ष हो गए थे निर्दल

इस चुनाव का एक रोचक तथ्य यह रहा कि अपना दल के मुखिया डॉ. सोने लाल पटेल को इस बार स्वतंत्र उम्मीदवार यानी निर्दल चुनाव लड़ना पड़ा था. पहले अपना दल की ओर से प्रदीप श्रीवास्तव को अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया था. पार्टी ने उन्हें सिंबल एलॉट कर दिया था, जिसके आधार पर उन्होंने नामांकन कर दिया था. बाद में डॉ. सोने लाल पटेल अचानक मैदान में आ गए, पार्टी ने पूर्व में प्रदीप पटेल को सिंबल एलॉट कर दिया था इसलिए यह विवाद निर्वाचन अधिकारी की कोर्ट में पहुंचा. निर्वाचन अधिकारी ने प्रदीप को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सोने लाल पटेल को निर्दल घोषित कर दिया था.

 

 

इलाहाबाद न्यूज़ डेस्क

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