
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क अलीगढ़ में निमोनिया के मरीज दिन ब दिन बढ़ रहे है. कोविड संक्रमण के बगाद इस बीमारी का तेजी से ग्राफ बढ़ा है. अब यह संक्रमण युवाओं को तेजी से जकड़ रहा है. मेडिकल कॉलेज से लेकर सरकारी अस्पतालों में बच्चों व बुजुर्गो की संख्या अधिक है.
शहर के विख्यात चिकित्सक प्रोफेसर राकेश भार्गव का कहना है कि निमोनिया तीव्र श्वसन संक्रमण का एक रुप है. जो फेफडों को प्रभावित करता है. फेफडे एल्वियोली नामक छोटी थैली से बने होते है. जो स्वस्थ व्यक्ति के सांस लेने पर हवा से भर जाते है. उनका कहना है कि जब किसी व्यक्ति को निमोनिया होता है तो एल्वियोली मवाद व तरल पदार्थ से भर जाती है. जिससे सांस में अधिक परेशानी और दर्द होता है. साथ ही ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है.यह संक्रमण अभी तक कमजोर इम्यूनिटी के कारण बच्चों और बुजुर्गो को तेजी से अपनी कैद में ले लेता है. कोविड के बाद युवाओं को भी यह अपनी जद में ले रहा है. मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में आने वाले मरीजों की बात करें तो हर माह 300 से 400 मरीज इससे ग्रस्त पहुंचते है. उधर, दीनदयाल अस्पताल की ओर से में भी 0 से 300 मरीज पहुंचकर हर माह इलाज करा रहे हैं.
क्या है निमोनिया?
निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जिसमें फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाता है. निमोनिया होने पर लंग्स में सूजन आ जाती है और कई बार पानी भी भर जाता है. निमोनिया वायरस, बैक्टीरिया और कवक सहित कई संक्रामक एजेंट्स की वजह से होता है.
निमोनिया होने के लक्षण
निमोनिया की शुरुआत सर्दी, जुकाम से होती है. जब फेफड़ों में संक्रमण तेजी से बढ़ने लगता है, तो तेज बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ होती है. सीने में दर्द की शिकायत होने लगती है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों को सांस लेने में बहुत दिक्कत हो सकती है.
बच्चों में टीके न लगना भी बड़ा कारण
● जनि बच्चों को जन्म के समय जरूरी टीके नहीं लग पाते उन्हें निमोनिया होने की आशंका ज्यादा रहती है.
● बच्चों में ज्यादातर निमोनिया के केस बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण के कारण होते हैं.
● अगर बच्चे की सांस की नली में रुकावट है या दिल में जन्म से विकार है तो निमोनिया हो सकता है.
● जिन बच्चों की सांस की नली में रुकावट हो उन्हें भी निमोनिया हो सकता है.
● ऐसे बच्चे जिनका वजन जन्म के समय सामान्य से कम होता है.
अलीगढ़ न्यूज़ डेस्क