Samachar Nama
×

Aligarh  मीट फैक्ट्रियों की चर्बी से पट गए अलीगढ़ के नाले, हाथरस डीएम ने भी जताई नाराजगी

Madhubani श्मशान की जमीन पर कचरा भवन निर्माण से नाराजगी

उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क   मीट इकाईयां सीधे नाले में चर्बी व दूषित पानी को प्रवाहित कर रही हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में खुलासा हुआ है. मथुराबाईपास स्थित अमरपुर कोंडला, तालसपुर में सात मीट इकाईयां संचालित हैं. अलीगढ़ ड्रेन, मडराक स्केप ड्रेन में ठोस अपशिष्ट चर्बी व गोबर बकाए जाने की जांच में पुष्टि हुई है. पानी के नमूने फेल हो गए हैं. स्लाटर हाउसों की मनमानी से यमुना व गंगा का पानी दूषित हो रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मीट फैक्ट्रियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में है.

मीट एक्सपोर्ट इकाइयां लंबे समय से दूषित पानी व चर्बी को नाले में सीधे डाल रही हैं. यही कारण है कि कई बार चर्बी की बदबू से शहर के लोग परेशान हुए थे. पिछले कई माह से मीट इकाईयों की जांच नहीं हो रही थी. अभी हाल ही में अलीगढ़ आए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी इं. राधेश्याम ने इकाईयों के पास से जा रहे नालों की छह  24 को जांच कराई और पानी के नमूने संकलित कराए. पानी के नमूनों की एनएबीएल से प्रमाणित प्रयोगशाला में जांच कराई गई, जिसमें ऑक्सीजन शून्य, बीओडी व सीओडी सौ से दो सौ गुना अधिक पाई गई. उक्त नालों में जलीय जीव जंतु नहीं हैं. जलीय जीव जंतुओं के रहने योग्य भी पानी नहीं रह गया है. जांच रिपोर्ट आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है.

हाथरस डीएम ने भी जताई नाराजगी

अलीगढ़ ड्रेन हाथरस होते हुए करवन नदी में मिलते हुए आगरा यमुना में मिलता है. मीट इकाईयों की ओर से सीधे नालों में डाली गई चर्बी हाथरस व आगरा तक पहुंची. जिसको लेकर हाथरस की डीएम अर्चना वर्मा ने नाराजगी जाहिर

की थी. मामले में जांच को निर्देश दिए थे. इसके अलावा आगरा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने भी इसको लेकर आपत्ति जताई थी.

ऑक्सीजन शून्य और बीओडी की मात्रा बढ़ी मिली

अलीगढ़ व मडराक स्केप ड्रेन में फरवरी  से मार्च 24 तक ऑक्सीजन शून्य मिली है. जबकि नाले का मानक है ऑक्सीजन कि 3 मिली ग्राम लीटर अधिक होनी चाहिए. इससे कम ऑक्सीजन

होने पर जलीय जीव जंतु की

मृत्यु हो जाती है. इसी तरह से बीओडी की मात्रा 168 से 284

तक मिली है. जबकि 30 मिली ग्राम लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. सीओडी की मात्रा 346 से लेकर 488 तक को पार कर गई.

जबकि सीओडी 0 से अधिक

नहीं होनी चाहिए.

आखिर मीट इकाइयों की निगरानी क्यों नहीं

बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर मीट इकाइयों सालों से चर्बी व दूषित पानी नालों में डाल रही हैं, लेकिन अफसरों ने इसका संज्ञान नहीं लिया. स्थानीय स्तर पर प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारी होती है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जांच करता है. लेकिन मीट इकाइयों की निगरानी नहीं किए जाने से नदियों का पानी लगातार दूषित किया जा रहा है.

 

 

अलीगढ़ न्यूज़ डेस्क

Share this story