
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क शमसाबाद रोड स्थित नालंदा टाउन कालोनी का सीवर खुले में बहने के मामले में एनजीटी द्वारा विकास प्राधिकरण पर किए गए दो करोड़ के जुर्माने के बाद बिल्डरों में खलबली मच गई है. याचिकाकर्ता ने नालंदा टाउन के आसपास की करीब 62 कालोनियों की सूची एनजीटी को सौंपी हैं जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों को लेकर यही स्थिति है. एनजीटी ने अपने आदेश में इन कालोनियों का जिक्र किया है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल आदेश के बाद विप्रा में भी खलबली मची हुई है. एडीए के अधिकारी विधिक राय लेने के बाद इस अपील की बात कह रहे हैं तो वहीं 62 कालोनियों का जिक्र होने पर बिल्डर भी सकते में हैं. हालांकि एसटीपी निर्माण को लेकर केवल ये ही 62 कालोनियों निशाने पर नहीं है, शहर में तमाम ऐसी कालोनियां हैं जहां ट्रीटमेंट का कोई इंतजाम नहीं है.
एनजीटी ने अपने आदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संबंध में गाइड लाइन का भी जिक्र किया है. जिसमें 5000 वर्गमीटर से 20 हजार वर्गमीटर में बनने वाली आवासीय योजनाओं में वाटर ट्रीटमेंट स्थापित करने के साथ-साथ डुअल प्लंबिंग सिस्टम लगाने की सिफारिश की गई है. इस सिस्टम का प्रयोग फ्लसिंग और ट्रीटेड सीवेज के लिए किया जाएगा. दो पाइप लाइनों का प्रयोग किया जाएगा जिनमें वेस्ट वाटर और शोधित पानी को इनके माध्यम से निस्तारित किया जाएगा. उधर, विकास प्राधिकरण इस मामले में फिलहाल विधिक राय ले रहा है. इसके बाद अगली कार्रवाई की जाएगी.
आगरा न्यूज़ डेस्क