
उत्तरप्रदेश न्यूज़ डेस्क विवेचक ने नौ दिन युवक को गैंगरेप के आरोप में अवैध हिरासत में रखा. जबकि पीड़िता ने नामजद को अपने बयान में क्लीनचिट दे दी थी. विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट की कोर्ट ने रिमांड निरस्त कर दी और विवेचक के खिलाफ कार्रवाई को पुलिस आयुक्त को लिखा है.
मलपुरा थाने में गैंगरेप, जान से मारने की धमकी और पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.
इसमें किशन, अर्जुन व धर्मेश को नामजद किया था. मुकदमा किशोरी के पिता ने लिखाया था. मुकदमा लिखने के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपित किशन को जेल भेज दिया. एसओ मलपुरा तेजवीर सिंह मुकदमे की विवेचना कर रहे हैं. उन्होंने 19 जनवरी को अर्जुन निवासी धनौली को न्यायिक अभिरक्षा के लिए विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार की कोर्ट में पेश किया. अदालत ने पाया कि पीड़िता ने बयान में कहा है कि उसके साथ कोई गलत काम और बदतमीजी नहीं की गई. धर्मेश और अर्जुन दोनों किशन के दोस्त हैं. विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट ने पत्रावली के अवलोकन में पाया कि अर्जुन के संबंध में किसी भी अपराध में कोई साक्ष्य नहीं है. अर्जुन ने अदालत में यह भी बताया कि 10 जनवरी की रात से वह और धर्मेश थाने में बंद थे. यदि यह सत्य है तो अत्यंत आपत्तिजनक है. अदालत ने उसे स्वतंत्र छोड़ने के आदेश दिए.
आगरा न्यूज़ डेस्क